श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की टिप्पणियों के साथ पांडुलिपि जारी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों द्वारा टिप्पणी के साथ एक पांडुलिपि जारी की है। प्रधानमंत्री ने डॉ. करण सिंह द्वारा भारतीय दर्शन पर किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके प्रयास ने जम्मू और कश्मीर की पहचान को पुनर्जीवित किया है, जिसने सदियों से पूरे भारत की विचार परंपरा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन गीता के गहन अध्ययन के लिए समर्पित कर दिया है, जो कि एक ही शास्त्र के प्रत्येक पद और इतने सारे मनीषियों की अभिव्यक्ति पर विभिन्न व्याख्याओं के विश्लेषण में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह भारत की वैचारिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को एकजुट करने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में गीता को सामने रखा था। स्वामी विवेकानंद के लिए, गीता अटूट परिश्रम और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है। श्री अरबिंदो के लिए, गीता ज्ञान और मानवता का सच्चा अवतार थी। गीता महात्मा गांधी के सबसे कठिन समय में एक बीकन थी। गीता नेताजी सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति और वीरता की प्रेरणा रही है। यह वह गीता है, जिसे बाल गंगाधर तिलक ने समझाया था और स्वतंत्रता संग्राम को नई ताकत दी थी।

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