श्रीलंका के न्यायालय ने अडाणी समूह की पवन ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर सरकार से मांगा जवाब

कोलंबो श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने देश में पवन ऊर्जा परियोजनाओं के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने मंत्रिमंडल और अडाणी समूह को तीन सप्ताह का समय दिया है। परियोजनाओं के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे एक समूह की याचिका पर न्यायालय ने जवाब तलब किया है। श्रीलंका में अडाणी समूह की नवीकरणीय परियोजना में दो पवन ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं। इसमें एक उत्तरपूर्वी जिले मन्नार में 250 मेगावाट और दूसरी उत्तर में पूनेरिन में 234 मेगावाट क्षमता की परियोजना हैं। इसमें कुल निवेश 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर अनुमानित है। शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को परियोजना के खिलाफ दायर याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल और अडाणी समूह को तीन सप्ताह का समय दिया। पर्यावरण अधिकार समूह ने अदालत में दावा किया था कि अडाणी पवन ऊर्जा परियोजना को श्रीलंका सरकार और भारत सरकार के स्तर पर हुई सहमति के तहत गठित उद्यम के रूप में मानने का मंत्रिमंडल का निर्णय अवैध है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के साथ प्रवासी पक्षियों की आबादी प्रभावित होगी। उन्होंने मन्नार जिले के विद्दतलतिवू क्षेत्र को वन अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करने की पर्यावरण मंत्री पवित्रा वन्नियाराच्ची की कार्रवाई को भी चुनौती दी है। समूह का कहना है कि यह कुछ और नहीं बल्कि परियोजना को सुविधाजनक बनाने के लिए उठाया गया कदम है। दूसरी तरफ श्रीलंका सरकार का कहना है कि 2030 तक अपनी बिजली जरूरतों का 70 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में पूरा करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अडाणी समूह का निवेश महत्वपूर्ण है। सरकार ने मई में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 484 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करने के लिए अडाणी ग्रीन एनर्जी के साथ 20 साल के बिजली खरीद समझौते को मंजूरी दी थी।क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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