संसदीय समिति ने कृषि मंत्रालय से निधियों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने को कहा

नयी दिल्ली, संसद की एक समिति ने पिछले तीन वर्ष में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा 44,015 करोड़ रूपये की राशि लौटने पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि निधियों को लौटाने के चलन से हर तरह से बचा जाना चाहिए ताकि इन योजनाओं का वांछित लाभ प्राप्त हो सके।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी.सी. गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति की वर्ष 2023-24 की अनुदान की मांगों पर रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति के संज्ञान में विभाग के जवाब से यह बात सामने आई है कि विभाग ने वर्ष 2020-21, 2021-22 और 2022-23 में क्रमश: 23,824 करोड़ रूपये, 429.22 करोड़ रूपये और 19,762 करोड़ रूपये लौटाये। इसका अर्थ यह है कि तीन वर्ष में विभाग द्वारा 44,015 करोड़ रूपये की राशि लौटाई गई।

समिति को यह बताया गया कि लौटाई गई राशि मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों, अनुसूचित जाति उप योजना और जनजातीय क्षेत्र उप योजना के तहत कम जरूरत से संबंधित थी।

इसमें कहा गया है कि समिति यह महसूस करती है कि हर तरह से निधियों को लौटाने के चलन से बचा जाना चाहिए ताकि इन योजनाओं का वांछित लाभ प्राप्त हो सके।

समिति ने विभाग से उन कारणों की पहचान करने की सिफारिश की है जिसकी वजह से कोष को लौटाया गया। इसके साथ ही कोष का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए उपचारात्मक कदम उठाने को भी कहा गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस बात को नोट किया कि विभाग ने अपने जवाब में स्वीकार किया कि सरकार के कुल बजट की तुलना में विभाग का प्रतिशत आवंटन वर्ष 2020-21 में 4.41 प्रतिशत था जो 2023-24 में 2.57 प्रतिशत रह गया है।

समिति ने कहा कि ग्रामीण आजीविका, रोजगार सृजन और देश में खाद्य सुरक्षा में कृषि क्षेत्र की भूमिका को देखते हुए विभाग से प्रतिशत रूप में बजट आवंटन के विषय को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाने को कहा गया है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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