सिद्धरमैया ने भाजपा को कर्नाटक के साथ अन्याय को लेकर केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करने की चुनौती दी

बेंगलुरु, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भाजपा पर ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने को लेकर सोमवार को निशाना साधा और पार्टी को राज्य के साथ ‘‘अन्याय’’ को लेकर केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करने की चुनौती दी। कर्नाटक सरकार द्वारा शनिवार को पेट्रोल पर बिक्री कर बढ़ाने के निर्णय के बाद पेट्रोल की कीमतों में तीन रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतों में 3.5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो गई है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा केंद्रीय कोष और जीएसटी हस्तांतरण तथा राज्य परियोजनाओं के लिए धन जारी करने से संबंधित मामलों में अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने भाजपा को इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की चुनौती दी। सिद्धरमैया ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल थी लेकिन वर्तमान में यह 82.35 डॉलर प्रति बैरल है। उन्होंने दावा किया कि 2015 में कच्चे तेल की कीमत 52 डॉलर प्रति बैरल थी जो अगले साल और कम हो गई। सिद्धरमैया ने सवाल किया ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमतें कम हुईं लेकिन पेट्रोल की कीमतें बढ़ गईं। तो भाजपा नेताओं को किसके खिलाफ लड़ना चाहिए जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब एक रिफिल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी। राजग शासन के दौरान यह 1 000 रुपये से अधिक हो गई। उन्होंने बताया कि इसे कम करने के बाद भी यह अभी भी 805.50 रुपये है। सिद्धरमैया ने कहा कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बावजूद गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपये से बढ़ाकर 805.50 रुपये किसने कर दी अगर उन्हें गरीब लोगों की चिंता है तो उन्हें केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए। सिद्धरमैया ने कहा कि केंद्र द्वारा जीएसटी लागू किए जाने के बाद राज्य सरकार ने पेट्रोल-डीजल शराब स्टांप ड्यूटी और मोटर टैक्स को छोड़कर करों को बढ़ाने की शक्ति खो दी।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने जीएसटी आयकर कॉर्पोरेट कर और उत्पाद शुल्क एकत्र किया जबकि राज्य सरकार केवल बिक्री कर लगा सकती है और शराब की कीमतें तय कर सकती है। उन्होंने कहा जब से भाजपा सत्ता में आयी है कर्नाटक को 14वें और 15वें वित्त आयोग में 1.87 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हमारा राजस्व और राज्य को केंद्र का योगदान कम हो गया है। भाजपा के किसी भी सांसद ने संसद में बात नहीं की हालांकि पिछली लोकसभा में उनकी संख्या 25 थी। सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि हालांकि 15वें वित्त आयोग ने कर्नाटक को 5 495 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की थी और कहा था कि राज्य के जीएसटी हस्तांतरण में कमी आयी है लेकिन केंद्र ने इसे नहीं दिया। उन्होंने कहा कि फिर भी प्रदेश भाजपा ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने बेंगलुरू में परिधीय रिंग रोड के लिए 3 000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी लेकिन उसने कुछ भी नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उसने बेंगलुरू में झील के विकास के लिए 3 000 करोड़ रुपये नहीं दिए। सिद्धरमैया ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने अपर भद्रा परियोजना के लिए 5 300 करोड़ रुपये की घोषणा की थी जिसे उन्होंने नहीं दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि भाजपा के केंद्र में सत्ता में रहने के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और जब राज्य को केंद्रीय धन का हिस्सा नहीं मिला तब भाजपा नेताओं ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा “आज भाजपा कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को कंगाल कहती है। क्या वे कंगाल का मतलब जानते हैं क्या हमने किसी का वेतन रोका है क्या हमने बजट में घोषित किसी परियोजना के लिए अनुदान रोका है ”क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडियाफोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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