सीपीईसी के जरिये श्रीलंका के साथ कारोबारी संबंध बढ़ाना चाहता है पाक : इमरान

कोलंबो, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को कहा कि देश अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के जरिये श्रीलंका के साथ कारोबारी संबंधों को बढ़ाने की दिशा में देख रहा है।

श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के साथ मुलाकात के बाद अपने संबोधन में खान ने कहा कि उनके पहले दौरे का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है।

उन्होंने कहा, “यह हमारे कारोबारी संबंधों को मजबूती देने के लिये है। पाकिस्तान चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का हिस्सा है, सीपीईसी इसका एक ध्वजवाहक कार्यक्रम है।”

खान ने कहा कि सीपीईसी का मतलब मध्य एशिया तक संपर्क कायम होने से है।

उन्होंने कहा, “हमनें उन क्षेत्रों के बारे में चर्चा की जहां हम अपने कारोबारी संबंधों को बढ़ा सकते हैं, जहां भविष्य में श्रीलंका को मध्य एशिया तक पाकिस्तान के संपर्क से फायदा हो सकता है। और हमारे कारोबारी संबंधों का यह मतलब भी है कि दोनों देश साथ चलेंगे।”

बलोचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाली सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बीआरआई की ध्वजवाहक परियोजना है।

भारत बीआरआई की कड़ी आलोचना करता है क्योंकि इसके तहत आने वाला 50 अरब डालर का सीपीईसी पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि खान और महिंदा ने यहां श्रीलंकाई प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास ‘टेंपल ट्रीज’ में अकेले में मुलाकात की।

इसमें कहा गया कि इस बैठक के बाद खान और महिंदा के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता हुई।

खान ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने में श्रीलंका की मदद करके खुशी होगी। उन्होंने कहा कि पर्यटन इस द्वीपीय राष्ट्र के विकास और वृद्धि का प्रमुख स्रोत है लेकिन आतंकवाद ने इसमें रुकावट पैदा की है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी आतंकवाद का शिकार रहा है और बीते 10 वर्षों में पर्यटन खत्म हो गया और आतंकवाद के खतरे के कारण विदेशी निवेश भी नहीं आ रहा।

कोविड-19 महामारी के बाद श्रीलंका की यात्रा करने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष खान बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से मुलाकात करेंगे।

दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित एक संयुक्त ‘व्यापार और निवेश सम्मेलन’ में भी खान हिस्सा लेंगे। इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिये कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये जाएंगे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पदभार 2018 में संभालने के बाद खान का यह पहला श्रीलंका दौरा है।

इससे पहले, वह 1986 में श्रीलंका आए थे, जब वह पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान थे। उस दौरान टेस्ट मैच की श्रृंखला में उन्होंने स्थानीय अंपायरों पर पक्षपात का आरोप लगाया था।

नवाज शरीफ के 2016 में श्रीलंका के दौरे के बाद यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का पहला श्रीलंका दौरा है।

खान के दौरे से पहले श्रीलंका सरकार ने उनके संसद के संयुक्त सत्र के प्रस्तावित संबोधन के कार्यक्रम को पिछले हफ्ते रद्द कर दिया था। सरकार ने ऐसा करने के पीछे कोविड-19 महामारी का हवाला दिया था।

ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तानी सरकार के अनुरोध पर खान के कार्यक्रम में संसद को संबोधित करने को शामिल किया गया था। यह संबोधन 24 फरवरी को होना था।

डान अखबार ने श्रीलंकाई मीडिया की खबरों को उद्धृत करते हुए कहा कि श्रीलंकाई सरकार में कुछ ऐसे तत्व थे, जो यह नहीं चाहते थे कि यह संबोधन हो क्योंकि उन्हें डर था कि इससे भारत के साथ देश (श्रीलंका) के संबंधों को और नुकसान पहुंच सकता है जो पहले से ही कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल करार के रद्द होने से तनावपूर्ण हैं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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