हास्य नहीं होता तो जीवन और जगत दोनों ही रसातल को चले जाते: प्रोफेसर राधा वल्लभ त्रिपाठी

जयपुर, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राधा वल्लभ त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि यदि हास्य नहीं होता तो जीवन और जगत दोनों ही रसातल में चले जाते । उन्होंने कहा कि ईश्वर ने भी हास्य के साथ ही इस सृष्टि का निर्माण किया है ।

            यहां हास्य कवि संजय झाला द्वारा लिखित विश्व कीर्तिमान कृति ‘हास्यम्-लास्यम’ के विमोचन के अवसर पर त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि हास्य के अभाव में जीवन और जगत दोनों ही अपना संतुलन खो बैठते हैं।

            संगोष्ठी में अपने संबोधन में पद्मश्री अलंकृत प्रोफेसर अशोक चक्रधर ने कहा कि हिंदी- संस्कृत के संयुक्ताक्षरों के साथ नए भाषायी उच्चारण और शिल्पगत प्रयोग के कारण यह पुस्तक नई पीढ़ी के लिए बहुत उपयोगी है ।

            संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाकवि बलबीर सिंह करुण ने कहा कि संजय ने एक हास्यकार के रूप में शब्दों के साथ पौराणिक कथाओं, मुहावरों संस्कृत की उक्तियों को नए स्वरूप में गढ़ा है और मौलिकता इस पुस्तक का सबसे बड़ा गुण है ।

            संगोष्ठी में फर्रुखाबाद से प्रोफेसर शिव ओम अंबर, उज्जैन से वरिष्ठ व्यंग्यकार पिलकेन्द्र अरोड़ा, भारत के वरिष्ठ कवि और छंद शास्त्री गुरु सक्सेना , वरिष्ठ हास्यकवि मनोहर मनोज कटनी से डॉ गोपीनाथ चर्चित गंगापुर से और हास्य व्यंग्यकार वेद प्रकाश ने नई दिल्ली से सहभागिता की ।

            संगोष्ठी में नेपाल की लेखिका और वर्तमान सांसद रेखा यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये और भारत से प्रख्यात कवि और पूर्व राज्यसभा सदस्य उदय प्रताप सिंह ने भी संबोधित किया ।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: