अदालत ने अपराध विज्ञान प्रयोगशाला में नियुक्तियां नहीं करने पर जताई नाराजगी

रांची, झारखंड उच्च न्यायालय ने विभिन्न पदों के सृजन के बावजूद पिछले 10 वर्ष में राज्य की अपराध विज्ञान प्रयोगशाला में राज्य लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा नियुक्तियां न कर पाने को लेकर बृहस्पतिवार नाराजगी जताई।

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की 28 जुलाई को हुई संदिग्ध मौत के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

अदालत ने राज्य की अपराध विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए 10 साल पहले पद सृजित होने के बाद भी अब तक नियुक्ति नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई और कहा, ‘‘लगता है कि सरकार हर संस्थान को ध्वस्त करना चाहती है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘क्या जनकल्याणकारी राज्य का यही काम है? क्या ऐसे ही सरकार चलती है?’’ पीठ ने कहा कि प्रयोगशाला में सारे काम गोपनीय होते हैं तो वहां आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति कैसे की जा सकती है, क्योंकि इससे जांच की गोपनीयता भंग होने की आशंका बनी रहेगी।

पीठ ने अगले सप्ताह मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर जेपीएससी, एफएसएल और गृह सचिव को शपथपत्र दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि 2011 में पद सृजित होने के बाद भी अभी तक नियुक्ति क्यों नहीं की गयी।

इससे पहले सरकार ने बताया कि एफएसएल में रिक्त पदों पर अब आउटसोर्सिंग से नियुक्ति की जाएगी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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