कोट्टयम /कोच्चि, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी.राजा ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता पर फैसला करने के दौरान इससे जुड़े कई अहम सवाल अब भी अनुत्तरित रह गए। उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए राजा ने कहा कि फैसले पर विस्तृत प्रतिक्रिया बाद में दी जाएगी।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई के नेता पी.के.कृष्णदास ने कहा कि यह फैसला कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित विपक्षी दलों के लिए झटका है। उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा, ‘‘ अनुच्छेद 370 को निरस्त करना देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए एक बड़ा निर्णय था। इसके बाद कश्मीर में हालात सामान्य हो गये।’’
कोट्टयम में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राजा ने कहा कि फैसले का गहन अध्ययन करने की जरूरत है और कोई यह निष्कर्ष निकालने में जल्दबाजी नहीं कर सकता कि शीर्ष अदालत ने सरकार के रुख को बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन लिया गया, राज्य को विभाजित कर दिया गया। इस फैसले से कई सवाल उठ सकते हैं, जैसे राष्ट्रपति की शक्ति क्या है, संघ सरकार की शक्ति क्या है, निर्वाचित राज्य विधानसभा की शक्ति क्या है।’’
बाद में, वामपंथी नेता ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता का निर्धारण करते समय, मुद्दे से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न अनुत्तरित रह गए।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार की जल्दबाजी, जम्मू-कश्मीर के लोगों या राजनीतिक दलों के साथ परामर्श नहीं करना और हठ,इन सब से अधिनायकवाद की बू आती है।’’
उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि यथाशीघ्र (जम्मू कश्मीर का)राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए और अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
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