अफगान तालिबान ने कबायली सरदारों की बैठक की, उलेमा से सलाह मांगी

इस्लामाबाद, अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने पिछले साल अगस्त में सत्ता पर कब्जा करने के बाद बृहस्पतिवार को करीब 3,000 उलेमा और कबायली सरदारों की एक सभा की । इसमें शरीक हुए लोगों से देश में शासन के लिए उनकी सलाह मांगी गई। हालांकि, महिलाओं को शरीक होने की इजाजत नहीं दी गई ।

देश में शासन की कमान संभालने के बाद से निर्णय लेने पर पूर्ण अधिकार रखने वाले तालिबान ने राजधानी काबुल में आयोजित सभा को अफगानिस्तान की विभिन्न समस्याओं को सुनने का एक मंच बताया।

हालांकि, सभा को संबोधित करने वालों में तालिबान अधिकारियों और समर्थकों की संख्या अधिक नजर आई, जिनमें ज्यादातर उलेमा थे।

तालिबान के रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने सभा में कहा, ‘‘उलेमा और कबायली सरदारों की जिम्मेदारी सलाह देने और अपनी इस्लामी प्रणाली का मार्गदर्शन करने की है क्योंकि हम आपकी सलाह के आधार पर प्रगति कर सकते हैं।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘हमें उलेमा की सलाह की जरूरत है और उनके किसी भी विचार एवं परामर्श का सम्मान किया जाएगा।’’

महिलाओं को बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई हालांकि, मीडिया में आई खबरों से पता चलता है कि अन्य मुद्दों के साथ-साथ बालिका विद्यालयों को फिर से खोले जाने पर चर्चा हुई होगी।

तालिबान के सर्वोच्च नेता ने इस साल की शुरूआत में छठी कक्षा के बाद बालिकाओं के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। साथ ही,यह आदेश जारी किया था कि महिलाओं को सार्वजनिक स्थान पर अपनी आंखों के अलावा पूरे शरीर को पूरी तरह से कपड़ों से ढंक कर रखना होगा।

तालिबान के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने बुधवार को सरकारी प्रसारणकर्ता आरटीए से कहा था कि कार्यक्रम विभिन्न विचारों को एक मंच उपलब्ध कराएगा।

उन्होंने कहा था, ‘‘महिलाएं हमारी माताएं और बहनें हैं तथा हम उनका आदर करते हैं। उनके बेटे जब बैठक में शरीक होंगे तो इसका मतलब होगा कि उन्होंने भी इसमें हिस्सा लिया।’’

सभा के आयोजन स्थल के पास एक समय गोली चलने की आवाज सुनाई दी।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि सुरक्षा बलों ने किसी संदिग्ध व्यक्ति पर गोली चलाई थी, जिसके हाथ में ग्रेनेड होने का संदेह था लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है।

हनाफी ने सभा को विभिन्न विचारों के लिए एक मंच बताया और देश भर में स्थिरता एवं राष्ट्रीय एकता मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया।

सभा का आयोजन काबुल की पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के लोया जिरगा हॉल में किया गया। लोया जिरगा कबायली सरदारों और प्रमुख शख्सियतों की सभा को कहा जाता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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