अमेरिका ने सुरक्षा परिषद और एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए अपने समर्थन की पुन:पुष्टि की

वाशिंगटन, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है।

अमेरिका ने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक सदस्य के तौर पर भारत के अहम योगदान की सराहना भी की है।

भारत-अमेरिका के बीच हुई ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन पर यहां जारी एक संयुक्त बयान में, अमेरिका ने 2021-2022 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य के रूप में अहम योगदान के लिए भारत को बधाई दी।

बयान के मुताबिक, इस संदर्भ में, अमेरिका ने सुरक्षा परिषद की तीन समितियों के प्रमुख के तौर पर भारत के नेतृत्व की तारीफ की। इन समितियों में 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति, 1970 लीबिया प्रतिबंध समिति और 1373 आतंकवाद रोधी समिति शामिल हैं।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन तथा रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सोमवार को टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता की।

संयुक्त बयान में कहा गया है, “मंत्रियों ने यूएनएससी और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में करीबी समन्वय से मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। अमेरिका ने यूएनएससी में सुधार के बाद भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के शामिल होने पर समर्थन जारी रखने की फिर से पुष्टि की।”

भारत ने दो दिसंबर को कहा था कि वह एनएसजी की सदस्यता के लिए देश की कोशिश पर जल्द फैसले के समर्थन के वास्ते समूह के सदस्यों के साथ बातचीत जारी रखेगा।

48 सदस्यीय एनएसजी देशों का एक विशिष्ट समूह है जो परमाणु हथियारों के अप्रसार में योगदान देने के साथ-साथ परमाणु प्रौद्योगिकी और विखंडनीय सामग्री के व्यापार में शामिल है।

पांच परमाणु हथियारों से लैस देशों में से एक चीन ने एनएसजी की सदस्यता हासिल करने की कोशिश का इस आधार पर विरोध किया है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उसके विरोध ने समूह में भारत के प्रवेश को मुश्किल बना दिया है, क्योंकि एनएसजी आम सहमति के सिद्धांत पर काम करता है।

संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने ‘यूएन ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप’ और ‘यूएन ग्रुप ऑफ गवर्नमेंट एक्सपर्ट्स’ की 2021 की रिपोर्ट की फिर से पुष्टि की, जो साइबर स्पेस में राज्य के जिम्मेदार व्यवहार की रूपरेखा को स्पष्ट करती है।

शांति अभियानों की अगुवाई करने में भारत के विशिष्ट इतिहास को स्वीकार करते हुए, अमेरिका ने 2022 में बहुपक्षीय शांति स्थापना प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का, तीसरे देश के भागीदारी के साथ संयुक्त क्षमता निर्माण प्रयासों का विस्तार करने का और अमेरिका के साथ साझेदारी में एक नया संयुक्त राष्ट्रीय जांच अधिकारी प्रशिक्षण प्रशिक्षक पाठ्यक्रम शुरू करने का स्वागत किया।

चारों मंत्रियों ने तालिबान से यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया, जो मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने तालिबान से उक्त और अन्य सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करने का आग्रह किया तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और यात्रा की स्वतंत्रता को बनाए रखनें की भी गुजारिश की। उन्होंने एक समावेशी अफगान सरकार पर जोर देने के साथ-साथ मानवीय सहायता देने के लिए संयुक्त राष्ट्र और इसके भागीदारों के लिए निर्बाध पहुंच के महत्व पर भी जोर दिया।

उन्होंने सभी अफगानों के लिए समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य बनाने में मदद करने के लिए अफगानिस्तान पर करीब से परामर्श करने की फिर से प्रतिबद्धता व्यक्त की।

म्यांमा में हिंसा की समाप्ति, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों की रिहाई और लोकतंत्र और समावेशी शासन के रास्ते पर तेजी से लौटने का आह्वान करते हुए, मंत्रियों ने आसियान की पांच सूत्रीय सहमति को तत्काल लागू करने की अपील की।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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