असम के बुढ़ाचापोरी वन्यजीव अभयारण्य की रक्षा में महिलाएं निभा रहीं अग्रिम भूमिका

बुढ़ाचापोरी (असम), असम के सोनितपुर जिले में स्थित बुढ़ाचापोरी वन्यजीव अभयारण्य के द्वार पर सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाएं निभा रही हैं। द्वार पर महिला सुरक्षाकर्मी ही आंगतुकों की जानकारी दर्ज करती हैं।  रेंज कार्यालय के द्वार पर तैनात महिला वन रक्षक उन नौ महिलाओं में से हैं, जिनकी भर्ती पिछले साल इस पद पर हुई थी जबकि चार महिलाओं की नियुक्ति कार्यालय में की गई है। द्वार पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहीं रिंकुमोई पेगु ने बताया, ‘‘हमारे लिए यह अन्य काम की तरह है और इस नौकरी के प्रति हमारा जुनून है।’’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हम जब इस पद के लिए आवेदन कर रहे थे तो जानते थे कि क्या काम होगा। चयन के बाद प्रशिक्षण ने इसमें हमारी मदद की। ’’वन रक्षक हीरामणि बोरो ने कहा, ‘‘हमें इस काम को लेकर घर से किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।’’ हीरामणि मूल रूप से सोनितपुर जिले के धेकाइजुली की रहने वाली हैं जबकि पेगु का घर माजुली में है। 

पड़ोसी जिले नगांव की रहने वाली और वनकर्मी के तौर पर तैनात चिम्पी राजबंशी और बक्सा जिले की निवासी और वन रक्षक पद पर तैनात मौसमी बोरो ने भी इसी तरह की राय रखी। हालांकि, सभी ने स्वीकार किया कि यह बहुत कठिन काम है। रेंज अधिकारी एस के गुप्ता ने उनके अधीन काम करने वाली महिला कर्मियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें सभी आवश्यक सुविधाएं दे रहे हैं जैसे रहने का अलग स्थान, शौचालय आदि। भर्ती होने पर उन्हें महिला अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी गई।’’ 

गुप्ता ने कहा, ‘‘इस बैच में 13 महिला कर्मियों की भर्ती हुई और उनकी तैनाती के सात महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक कोई समस्या सामने नहीं आई है। वे अन्य कर्मियों की तरह ही मेहनती हैं।’’ 

बुढ़ाचापोरी वन्यजीव अभयारण्य में पहले भी महिला वन कर्मी थीं लेकिन यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में महिला कर्मियों का एक साथ चयन हुआ है।  वन विभाग विभिन्न पदों पर वर्षों से महिला कर्मियों की तैनाती कर रहा है लेकिन विगत कुछ सालों में इनकी संख्या में वृद्धि हुई है। 

राजबंशी ने कहा, ‘‘हमें अपने पुरुष सहकर्मियों के बराबर ही काम दिया जाता है। हम गश्त के लिए जाते हैं जिसमें पूरे दिन पैदल गश्त शामिल है।’’ हीरामणि ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी सहित अन्य कर्मी जानते हैं कि मासिक धर्म के दौरान हमें किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मासिक धर्म के दौरान हमारी पाली में हमारे अनुरोध के आधार पर बदलाव किया जाता है। वे हमें दूर की चौकियों पर रुकने को नहीं कहते क्योंकि वहां सुविधाएं नहीं हैं।’’ 

मौसमी ने कहा, ‘‘हमें खासतौर पर तब बुलाया जाता है जब गांवों की महिलाएं संरक्षित इलाके में दाखिल होने की कोशिश करती हैं। उन परिस्थितियों में हमारे महिला होने का लाभ मिलता है क्योंकि पुरुष सहकर्मी ग्रामीण महिलाओं से संघर्ष नहीं कर सकते जैसा कि हम कर सकती हैं।’’  राज्य सरकार ने पिछले साल फरवरी में बुढ़ाचापोरी वन्यजीव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ा अभियान चलाया था और संरक्षित क्षेत्र की 2,099 हेक्टेयर भूमि मुक्त कराई थी और इससे 12,800 लोग प्रभावित हुए थे। वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के दौरान हुए संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और तीन वन रक्षकों सहित कुल सात लोग घायल हो गए थे। 

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: