आर्थिक वृद्धि का मौजूदा दृष्टिकोण न तो समावेशी, न ही टिकाऊः डब्ल्यूईएफ रिपोर्ट

दावोस, दुनिया की ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि न तो समावेशी है और न ही टिकाऊ है। नवाचार को अपनाने या उसके सृजन की उनकी क्षमता भी कम है। वृद्धि के इस तरीके से वैश्विक आघात सहने और उन्हें कम करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। एक नई रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है।

             विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की यहां चल रही वार्षिक बैठक के दौरान बुधवार को ‘भविष्य की वृद्धि’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया है। इसमें दक्षता के साथ दीर्घकालिक निरंतरता और हिस्सेदारी के बीच संतुलन बनाने और रफ्तार एवं गुणवत्ता दोनों को साधने की बात कही गई है।

             अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि उच्च-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं का नवाचार एवं समावेशन के मामले में बढ़िया प्रदर्शन है जबकि निम्न-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में निरंतरता पर खास जोर है। इसमें 107 अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की गुणवत्ता के साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर समग्र दृष्टि डाली गई है।

             निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत एवं केन्या ने निरंतरता के मोर्चे पर उच्च अंक हासिल किए हैं जबकि जॉर्डन ने नवाचार, वियतनाम ने समावेशन और फिलिपीन ने जुझारू क्षमता के मामले में बाजी मारी है।

             इस समूह के देशों के मजबूत संतुलित विकास की राह में प्रौद्योगिकी को अपनाने, सामाजिक सुरक्षा ढांचे की कमी, नवीकरणीय ऊर्जा में अपर्याप्त निवेश और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की अपर्याप्त क्षमता जैसी चुनौतियां शामिल हैं।

             रिपोर्ट में एक आसन्न आर्थिक मंदी का भी उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक, मौजूदा आर्थिक एवं भू-राजनीतिक झटकों के बीच वर्ष 2030 तक वृद्धि दर तीन दशक में सबसे निचले स्तर तक गिर सकती है।

             रिपोर्ट कहती है कि यह मंदी जलवायु संकट और कमजोर होते सामाजिक संबंधों जैसे एक-दूसरे से जुड़ी कई वैश्विक चुनौतियों को बढ़ा रही है। इन चुनौतियों की वजह से वैश्विक विकास में प्रगति सामूहिक रूप से प्रभावित हो रही है। इस मौके पर डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा, ‘‘प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक वृद्धि में नई जान डालने की जरूरत होगी, सिर्फ वृद्धि करना ही काफी नहीं है।’’

             उन्होंने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट आर्थिक वृद्धि के आकलन के एक नए तरीके का प्रस्ताव करती है जिसमें दीर्घकालिक निरंतरता, जुझारूपन और हिस्सेदारी के साथ दक्षता का संतुलन हो और भविष्य के लिए नवाचार का वैश्विक एवं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से तालमेल हो।’’

             अगर अर्थव्यवस्थाओं के व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें तो 107 में से कोई भी अर्थव्यवस्था ढांचे के चार आयामों में से किसी में भी 80 से अधिक अंक नहीं हासिल कर पाई।

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