इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी, रसायन महत्वपूर्ण बने रहेंगे : अनिल सहस्त्रबुद्धे

नयी दिल्ली, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे ने स्पष्ट किया कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र महत्वपूर्ण बने रहेंगे । उन्होंने यह भी कहा कि कम्प्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी जैसे सहयोगी विषय लेने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग में नामांकन की अनुमति देने के मकसद से दिशानिर्देशों में विकल्प दिया गया है।

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘ हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी, रसायन नहीं चाहिए । यह जरूरी विषय हैं । ’’

उन्होंने कहा कि भौतिकी, गणित के बिना कोई भी इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी कर ही नहीं सकता।

एआईसीटीई के अध्यक्ष ने कहा कि इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र महत्वपूर्ण बने रहेंगे ।

सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप, छात्रों में बहु-विषयक दृष्टिकोण को विकसित करने की जरूरत महसूस की गई जिसकी वजह से इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रवेश से संबंधित विषयों के बारे में स्थिति स्पष्ट करना जरूरी था।

उन्होंने कहा कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद परिषद ने अनुमोदन प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए जो वास्तव में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों को उनकी पसंद के अनुरूप विकल्प प्रदान करते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में एआईसीटीई ने स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग संकाय में दाखिले के लिये प्रवेश स्तर के दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए 11वीं एवं 12वीं कक्षा में गणित एवं भौतिकी नहीं पढ़ने वाले छात्रों को नामांकन के लिये पात्र बताया था ।

हालांकि, इससे पहले इंजीनियरिंग में दाखिले के लिये छात्रों को हाई स्कूल के स्तर पर भौतिकी, गणित की पढ़ाई करना जरूरी था ।

अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ये बदलाव किसी राज्य या इंजीनीयरिंग कालेजों के लिये अनिवार्य नहीं हैं और न ही जेईई या सीईटी जैसी परीक्षाओं के संदर्भ में कोई बाध्यता हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ पहले की तरह ही गणित, भौतिकी, रयायन शास्त्र विषय में जेईई, सीईटी जैसी प्रवेश परीक्षा जारी रहेगी । ’’

एआईसीटीई के अध्यक्ष ने कहा ‘‘ बहरहाल, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद जब 10+2 की प्रणाली खत्म्र होगी, 5+3+3+4 का प्रारूप होगा और कला, विज्ञान तथा कामर्स संकाय वर्तमान स्वरूप में नहीं रहेंगे, तब छात्रों के बीच बहु-विषयक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक व्यवस्था के संदर्भ में यह बात कही गई है । ’’

उन्होंने कहा कि कम्प्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी जैसे सहयोगी विषय लेने वाले छात्रों को इंजीनियरिंग में नामांकन की अनुमति देने के मकसद से दिशानिर्देशों में विकल्प दिया गया है।

दिशानिर्देशों को लेकर भ्रम के बारे में पूछे जाने पर सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि अगर किसी छात्र का स्कूल के स्तर पर कोई कोर्स छूट गया है तब इसे पूरा करने के लिये कालेज पूरक कोर्स या ब्रिज कोर्स पेश कर सकते हैं ।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

%d bloggers like this: