पिडी (इंडोनेशिया) इंडोनेशिया में स्कूल की वर्दी में बच्चे और नन्हे-मुन्हे अपने माता-पिता के साथ सोमवार को सिगली टाउन चौराहे पर पोलियो का टीका लगवाने के लिए कतार में लगे दिखे। यह नजारा इंडोनेशाई द्वीप सुमात्रा के उत्तरी क्षेत्र का था, जहां चार बच्चों को पोलियो से संक्रमित पाया गया है।
इंडोनेशिया ने एक दशक से कुछ कम समय पहले अपने देश को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था। इंडोनेशिश के सिगली के पास अचेह प्रांत में पोलियों संक्रमण का पहला मामला सात साल के बच्चे में 17 अक्टूबर को पाया गया जो आंशिक लकवे से जूझ रहा था।
इसके बाद से तीन और बच्चों में पोलियो वायरस संक्रमण की पहचान की गई जिसके कारण सरकार व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू करने और लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित हुई।
अधिकारियों ने कहा कि रूढ़िवादी अचेह प्रांत में पोलियो टीकाकरण की दर देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी पीछे है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के रोग नियंत्रण और संरक्षण विभाग के महानिदेशक मैक्सी रेन रोंडोनुवू ने कहा कि इंडोनिशया में सोमवार को जिस टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई उसके तहत इस प्रभावित प्रांत के 12 लाख बच्चों को टीके लगाए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘पोलियो का कोई इलाज नहीं है। इसका एक मात्र इलाज बचाव है और बचाव का उपकरण टीकाकरण है।’’
इंडोनेशिया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है जहां 27.5 करोड़ लोग रहते हैं। अचेह इंडोनेशिया का इकलौता प्रांत है जिसे वर्ष 2006 में शरिया कानून लागू करने की अनुमति दी गई। अलगाववादियों से युद्ध को खत्म करने के मकसद से राष्ट्रीय सरकार ने इस प्रांत को यह छूट दी।
अचेह के स्वास्थ्य कार्यालय के प्रमुख हनीफ ने कहा कि टीके में सुअर का मांस या एल्कोहल (मुस्लिम आस्था के तहत ये दोनों चीजें वर्जित हैं) मिले होने की झूठी अफवाह ने ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण के प्रयासों को जटिल बना दिया।
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)