इतिहास में भी ऐसे विचार मिलते हैं कि कारावास कैदियों को सुधारते हैं

जैकसन (अमेरिका), जेल ऐसा स्थान हैं जहां बंद होने पर लोगों को पीड़ा होती है। लेकिन सैद्धांतिक तौर पर उनका लक्ष्य सज़ा से परे कुछ और है तथा यह लोगों में सुधार लाने का है। अमेरिका में, कैदी पुनर्वास के लक्ष्य के बारे में आंशिक रूप से जानकारी 1876 में न्यूयॉर्क में खोले गए ‘एल्मिरा रिफॉर्मेटरी’ से हासिल की जा सकती है। इसके बारे में दावा किया जाता है कि यह “मित्रवत सुधार” की एक संस्था है, लेकिन सुधारगृह का उद्देश्य कैदियों को बदलना है, न कि उन्हें वंचित करना। इसके संस्थापक ज़ेबुलोन ब्रॉकवे काफी सख्त मिज़ाज थे और उन्हें “अमेरिकी सुधार के जनक” के रूप में जाना जाता है।अन्य राज्यों ने जल्द ही सुधारवादी मॉडल को अपना लिया और विचार यह था कि जेल लोगों में “सुधार” लाने की जगह हैं और यह न्यायिक प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा बन गईं। लेकिन यह विचार कि कैद और पीड़ा कैदी के लिए अच्छी मानी जाती है, 19वीं शताब्दी में सामने नहीं आया था। शुरुआती सबूत तकरीबन चार हजार साल पहले मेसोपोटामिया से मिलते हैं जहां आज आधुनिक दुनिया का इराक है। इसमें नुंगल नाम की एक जेल देवी की प्रशंसा की गई है। लगभग एक दशक पहले मेसोपटामिया की शुरुआती गुलामी पर शोध करने वाले एक छात्र के तौर पर मुझे ऐसे कई दस्तावेज़ मिले जो कैद से संबंधित थे। कुछ रोज़मर्रा की लेखांकन जानकारी से संबंधित प्रशासनिक दस्तावेज़ थे। अन्य कानूनी सामग्री, साहित्य रचना या निजी पत्र थे। मैं इन संस्कृतियों में कारावास को लेकर आकर्षित हुआ। अधिकतर संदिग्धों को कुछ समय के लिए हिरासत में रखा जाता था लेकिन साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों में, कारावास को एक बदलाव लाने वाले और शुद्ध करने वाले अनुभव के रूप में देखा गया था। करीब 1800 ईसा पूर्व प्राचीन सुमेरियन के शहर निप्पुर में धर्म शास्त्री का प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों ने मेसोपोटामिया के महान राजा सुलगी के बारे में भी लिखा है जो दावा करता था कि वह देवता है। प्रमुख धर्मशास्त्री ने इन विभिन्न ग्रंथों को इमला बोला तो, छात्रों ने नुंगल नामक जेल देवी के बारे में भी सुना। हालांकि नुंगल का न्याय अपरिहार्य था और वह अपनी करुणा के लिए भी प्रसिद्ध थीं। उनका “घर” कैदियों के लिए कष्ट लेकर आया, जिनके दुःख ने विलाप को जन्म दिया।उस विलाप के माध्यम से, कैदियों को उनके पापों से शुद्ध किया जा सकता था और उन्हें व्यक्तिगत देवताओं जरिए सही रास्ते पर लाया जा सकता था, जो बड़े देवताओं के सामने उनके संरक्षक और मध्यस्थ थे। ईसा पूर्व दूसरी या तीसरी सहस्राब्दी के “हिम टू नुंगल” में बताया गया है कि कैसे मौत की सजा पाए एक दोषी कैदी को मारा नहीं गया, बल्कि “विनाश के जबड़े से” छीन लिया गया और नुंगल के घर में डाल दिया गया, जिसे वह “हाउस ऑफ लाइफ” कहती थीं और यह पीड़ा, अलगाव और दर्द का स्थान भी था। फिर भी, धार्मिक गीत से पता चलता है कि जेल जाने के बाद कैदियों में सुधार हुआ। देवी का कहना था कि उनका घर “करुणा से बना है, यह व्यक्ति के दिल को सुकून देता है और उसकी आत्माओं को तरोताजा कर देता है।” देवताओं के बारे में ऐसी कहानियों पर प्राचीन लोग किस हद तक विश्वास करते थे, यह बहस का विषय बना हुआ है। क्या “हिम टू नुंगल” जैसे ग्रंथ सच्चे धर्म के विषय थे या सिर्फ परियों की कहानियां थीं जिन्हें किसी ने गंभीरता से नहीं लिया?चूंकि यह एक साहित्यिक सामग्री है, इसलिए यह न्याय प्रणाली के बारे में कोई विश्वसनीय स्रोत भी नहीं है। ऐसा लगता है कि मेसोपोटामिया के राज्यों में संदिग्धों को सज़ा देने से पहले उन्हें हिरासत में रखने के वास्ते जेलों का इस्तेमाल किया जाता था, ठीक उसी तरह जैसे आज जेलों में मुकदमे से पहले संदिग्धों को रखा जाता है। उन्होंने लोगों को जुर्माना या कर्ज़ चुकाने के लिए मजबूर करने और जबरन श्रम कराने के लिए भी हिरासत में लिया। कभी-कभी ऐसा तीन साल से अधिक समय तक के लिए होता। फिर भी, हिरासत में रहने के दौरान कष्ट सहना पड़ता है। एक कैदी ने अपने वरिष्ठ को लिखे पत्र में “जेल” को “संकट या अकाल का स्थान” बताया है। एक अन्य पत्र में, लेखक का कहना है कि उसे रिहा कर दिया गया है लेकिन उसने पिटाई किए जाने की शिकायत की है जो जांच प्रक्रिया के हिस्से के रूप में एक अन्य कैदी को सहनी पड़ी। मगर उसने संदिग्ध अपराध का जिक्र नहीं किया।अधिकतर लोगों ने मेसोपोटामिया की जेलों में लंबी अवधि नहीं बिताई होगी, फिर भी उन्हें उनमें कष्ट सहना पड़ा। यह विचार व्यापक है कि कारावास अच्छा हो सकता है, लेकिन क्या यह सही है? जेल व्यवस्थाएं सुधार के बारे में जिस तरह सोचती हैं, वह आज ”हिम टू नुंगल” की कल्पना से बहुत अलग है। फिर भी यह अहम विचार है कि पीड़ा कैदियों के लिए अच्छी हो सकती है और इसकी गहरी ऐतिहासिक जड़ें हैं ।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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