ईशनिंदा मामलों में सरकारी अधिकारी ‘‘बहुत सतर्कता’’ बरते : उच्चतम न्यायालय

इस्लामाबाद, ‘‘धर्म से जुड़े अपराधों’’ की ‘‘गंभीर’’ प्रकृति के संबंध में आपत्ति जताते हुए पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को ईशनिंदा के मामलों से निपटने के दौरान सरकार से जुड़े लोगों से ‘बहुत सावधानी’’ बरतने को कहा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों को काफी प्रचार होता है जिसका प्रतिकूल असर होता है तथा ‘निष्पक्ष सुनवाई भी खतरे में पड़ सकती है।’’

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के खबर के अनुसार शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि इस्लामिक विधिशास्त्र में भी अपराधी को वह व्यक्ति फांसी पर नहीं चढ़ा सकता है जो इसके लिए अधिकृत नहीं है।

पाकिस्तान के कानून के तहत ईशनिंदा के दोषियों के लिए मृत्युदंड एकमात्र निर्धारित सजा है। आलोचकों ने यह कहते हुए पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में सुधार की मांग की है कि समाज के प्रभावशाली लोग एवं चरमपंथी धार्मिक तत्व अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने तथा निजी दुश्मनी को साधने के वास्ते विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए अक्सर इसका दुरूपयोग करते हैं ।

उच्चतम न्यायालय के फैसले में इस बात का भी संज्ञान लिया गया है कि कैसे कई बार ‘‘निजी दुश्मनी को साधने या शरारतपूर्ण उद्देश्य से या दुर्भावना से वशीभूत होकर झूठे आरोप लगाये जाते हैं। ’’

अखबार के अनुसार न्यायमूर्ति काजी फैज इशा और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह की खंडपीठ ने एक ईसाई सफाईकर्मी के गिरफ्तारी बाद जमानत अनुरोध के मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया जो पिछले साल से जेल में है।

लाहौर अपशिष्ट प्रबंधन कंपनी के सफाईकर्मी सलमान मन्शाह मसीह पर ईशनिंदा करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति काजी फैज इशा ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से , ऐसे मामलों का खूब प्रचार होता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और निष्पक्ष सुनवाई भी खतरे में पड़ सकती है।’’

फैसले में कहा गया है, ‘‘ आरोपी ने कथित रूप से जो कुछ कहा है या किया है, उसके बारे में बार बार गैर जिम्मेदार तरीके से प्रसारण एवं प्रकाशन होता है। जो बार-बार ऐसा करते हैं, वे भी संभवत:ऐसा ही अपराध कर रहे होते हैं।’’

अदालत ने ‘‘धर्म से जुड़े अपराधों’’ की ‘गंभीर ’’ प्रकृति को लेकर आपत्ति की। उसने कहा, ‘‘ धारा 295 सी के अपराध में बस मृत्युदंड का ही प्रावधान है, इसलिए सभी संबंधित अधिकारी पूरी सतर्क रखें कि न्याय प्रदान करने में कोई अन्याय न हो जाए।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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