उच्चतम न्यायालय का केरल सोना तस्करी मामले में 12 आरोपियों की जमानत रद्द करने से इनकार

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सनसनीखेज तस्करी मामले में केरल उच्च न्यायालय द्वारा 12 आरोपियों को दी गई जमानत को रद्द करने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। इस मामले में पिछले साल पांच जुलाई को सीमा शुल्क विभाग द्वारा तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 14.82 करोड़ रुपये मूल्य का 30 किलोग्राम 24 कैरेट सोना जब्त किया गया था।

हालांकि शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न उस कानूनी प्रश्न की जांच पड़ताल करने के लिए सहमत हुआ है जिसमें यह माना गया था कि सोने की तस्करी का अपराध सीमा शुल्क अधिनियम के अंतर्गत आता है और गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 15 (1) (ए) (तीन ए) के तहत नहीं आते है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, “वे (आरोपी) सभी सरकार के कर्मचारी हैं। हम जमानत रद्द करने के पहलू में नहीं जायेंगे। यदि आप चाहें तो हम कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ सकते हैं।’’

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि जमानत देने के अलावा, उच्च न्यायालय ने तस्करी के संबंध में आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा के तहत व्याख्या की है और इस पहलू पर शीर्ष अदालत को विचार करने की आवश्यकता है।

विधि अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर एक अपील भी शीर्ष अदालत में लंबित है। पीठ ने कहा, ‘‘हम एक और एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) पर नोटिस क्यों जारी करें जब हम पहले से ही इसकी (कानूनी प्रश्न) जांच कर रहे हैं।’’

हालांकि, शीर्ष अदालत ने तब 12 उन आरोपियों को नोटिस जारी किये थे, जिन्हें मामले में जमानत दी गई है, और यूएपीए के तहत आतंकवादी अधिनियम की व्याख्या के संबंध में कानूनी पहलू की जांच करने के लिए सहमत हुई।

गौरतलब है कि राजनयिक चैनल के जरिये सोने की तस्करी के आतंकी पहलू की जांच कर रही एनआईए ने पिछले साल पांच जुलाई को सीमा शुल्क विभाग द्वारा तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 14.82 करोड़ रुपये मूल्य का 30 किलोग्राम 24 कैरेट सोना जब्त किये जाने के मामले में शुरू में सरित, स्वप्ना सुरेश, संदीप नायर और फाजिल फरीद को आरोपी बनाया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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