उच्च न्यायालय ने अधिकरण के निलंबन से जुड़े आदेश को रद्द करने से इनकार किया

मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र प्रशासनिक अधिकरण (एमएटी) के उस आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का निलंबन निरस्त करके उसे बहाल करने का निर्देश दिया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि निलंबन आदेश को अनिश्चित काल तक बरकरार नहीं रखा जा सकता।

पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी धीरज पाटिल निलंबन के समय महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) में कार्यकारी निदेशक (सुरक्षा और प्रवर्तन) के पद पर तैनात थे।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने 18 अगस्त को एक महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसने एमएटी के जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में पाटिल का निलंबन रद्द कर दिया गया था और उन्हें सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया गया था।

एमएटी ने पाटिल के खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को तीन महीने के भीतर पूरा करने का भी निर्देश दिया था। पेशे से वकील याचिकाकर्ता ने पाटिल के खिलाफ जुलाई 2021 में निजी प्रकृति के आरोप लगाए थे।

शिकायत के आधार पर फरवरी 2022 में पाटिल के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई और दो मार्च को उन्हें निलंबित कर दिया गया।

इसके बाद पाटिल ने अपने निलंबन को एमएटी के समक्ष चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता (महिला) द्वारा पाटिल के खिलाफ अपनी शिकायत में लगाए गए आरोप निजी प्रकृति के हैं।

पीठ ने कहा कि निलंबन के आदेशों पर कानून अच्छी तरह से स्थापित हैं और उच्च न्यायालय ऐसे आदेशों में तभी हस्तक्षेप करेगा जब उन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से पारित किया गया हो या इसे अवैध दर्शाया गया हो। पीठ ने कहा कि एमएटी ने सही निष्कर्ष निकाला था कि निलंबन का आदेश अनिश्चित काल तक जारी नहीं रह सकता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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