उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति हिंदी में दें भाषण : राज्यसभा में भाजपा सदस्य ने उठायी मांग

राज्यसभा में बुधवार को भाजपा के एक सदस्य ने हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के संवर्द्धन पर जोर देते हुए मांग की कि राष्ट्रपति एवं केंद्रीय मंत्रियों सहित उच्च पदों पर बैठे सभी व्यक्तियों को अपना भाषण एवं वक्तव्य हिंदी में देना चाहिए। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि अभी 21 फरवरी को मातृभाषाओं के संवर्द्धन का दिवस मनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी भाषा को हीन दृष्टि से देखते हैं और अंग्रेजी भाषा में सतही बौद्धिकता को भी सम्मान देते हैं।’’

यादव ने कहा, ‘‘ भारतीय भाषा विलुप्त होने से हमारी समृद्ध विरासत भी लुप्त हो जाती है। यह बहुत बड़ी हानि है जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते।’’ उन्होंने दावा किया कि सभी देश अपनी भाषाओं के सम्मान और समृद्धि के प्रति सजग हैं किंतु भारत इसका अपवाद है। उन्होंने कहा कि हिंदी तथा अन्य सभी भारतीय भाषाएं भारत के मन का संगीत हैं और जन जन के हृदय की धड़कन हैं। उन्होंने कहा कि राजभाषा समिति के आठवें खंड की सिफारिश संख्या पांच को राष्ट्रपति ने स्वीकृत कर आदेश दिया है कि सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग, विशेषकर जिन्हें हिंदी पढ़नी एवं बोलनी आती है, वे अपने भाषण एवं वक्तव्य हिंदी में ही दें और पढ़ें। यादव ने कहा कि इस श्रेणी में राष्ट्रपति और सभी मंत्री आते हैं।

उच्च सदन में बुधवार को कांग्रेस की अगुवाई में विभिन्न विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर हंगामा किया। इस वजह से शून्यकाल बाधित सामान्य ढंग से नहीं चल पाया।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और सदन की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उन्हें लोक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर 18 नोटिस मिले हैं जिनमें से कुछ विपक्ष के सदस्यों के हैं। इन सदस्यों को उनकी बात कहने का अवसर मिलना चाहिए। हंगामे के कारण सभापति नायडू ने सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने के कुछ देर बाद ही कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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