एनजीटी का वेव सिटी परियोजना में पर्यावरणीय उल्लंघनों पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश

नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गाजियाबाद और नोएडा में एक रियल एस्टेट डेवलेपर द्वारा पेड़ों को गैरकानूनी रूप से काटे जाने, पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) के उल्लंघन और भूजल के अवैध दोहन के संबंध में एक समिति को रिपोर्ट दाखिल करने का बुधवार को निर्देश दिया।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह गौर करने के बाद आदेश पारित किया कि उल्लंघनों के बारे में रिपोर्ट करने के लिए गठित समिति इस आधार पर पर्यावरणीय मुआवजे का आकलन नहीं कर पायी कि रियलिटी डेवलेपर से आंकड़ें का इंतजार किया जा रहा है।

उसने कहा, ‘‘हम पाते है कि मामले को तब तक टालने का समिति का रुख अनुचित है जब तक परियोजना प्रस्तावक आंकड़ें नहीं दे देता। अगर परियोजना प्रस्तावक आंकड़ें देने से बच रहा है तो परिस्थितियों से मिले अनुमान के आधार पर प्रतिकूल अनुमान लगाने में कोई मुश्किल नहीं आनी चाहिए।’’

एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य स्तरीय पर्यावरण असर आकलन प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के अधिकारियों और गाजियाबाद जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति बनायी थी।

अधिकरण ने कहा कि न तो मुकदमा शुरू किया गया और न ही पारिस्थितिकी को पहुंचे नुकसान के आधार पर क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर पर्याप्त मुआवजा वसूला गया।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके अनुसार हम संयुक्त समिति को किसी अन्य विशेषज्ञ/संस्थान के साथ समन्वय करते हुए आगे की सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। वैधानिक प्राधिकरण कानून का पालन करते हुए मामले में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं और ईमेल के जरिए अगली तारीख से पहले अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें।’’

एनजीटी ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख तय की।

एनजीटी उत्तर प्रदेश निवासी महाकार सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि रियल एस्टेट डेवलेपर्स ने गाजियाबाद में वेव सिटी और नोएडा में हाई टेक सिटी की परियोजना के लिए ईसी के बिना अवैध रूप से पेड़ काटे, भूजल का दोहन किया और निर्माण कार्य किया।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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