ऑस्टिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान को भारत के साथ संबंध मजबूत करने की इच्छा जताई

नयी दिल्ली, अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शु्क्रवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरी ‘सबसे अहम’ चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की इच्छा जताई।

ऑस्टिन तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं और इस दौरान क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामकता के बीच करीबी साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर होगा।

अपने पहली तीन देशों की विदेश यात्रा के तहत ऑस्टिन भारत पहुंचे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं आपसी हितों पर चर्चा की।

इसके बाद मोदी ने ट्वीट करके कहा कि भारत और अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध हैं जो ‘‘दुनिया की बेहतरी के लिए ताकत है।’’

अमेरिकी रक्षामंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से के साथ ही विस्तृत चर्चा की और माना जा रहा है कि इस दौरान इलाके में चीन का आक्रमक व्यवहार सहित साझा चिंताओं पर चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री और ऑस्टिन के बीच हुई चर्चा के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी रक्षामंत्री ने द्विपक्षीय रक्षा संबंध को मजबूत करने की वाशिंगटन की प्रतिबद्धता को दोहराया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र एवं उससे परे शांति, स्थिरता और संपन्नता के लिए रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की ‘तीव्र इच्छा व्यक्त’ की।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन से आज मुलाकात करके खुशी हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। भारत और अमेरिका हमारी रणनीतिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध हैं जो दुनिया के लिए अच्छी ताकत है।’’

ऑस्टिन की प्रथम विदेश यात्रा के दौरान तीन देशों के दौरे में भारत तीसरा पड़ाव (जापान और दक्षिण कोरिया के बाद) स्थल है। उनकी इस यात्रा को (अमेरिकी राष्ट्रपति) जो बाइडन प्रशासन द्वारा अपने करीबी सहयोगियों और क्षेत्र में साझेदारों के साथ मजबूत प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है।

ऑस्टिन ने ट्वीट किया, ‘‘यहां भारत में आकर रोमांचित हूं। हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई हमारी व्यापक रक्षा साझेदारी के महत्व को दर्शाती है और हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर मिलकर काम कर सकते हैं।’’

अमेरिकी सरकार ने एक बयान में कहा कि रक्षामंत्री ऑस्टिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के नेतृत्व पर भरोस जताया और इलाके में समान विचार रखने वाले साझेदारों से बढ़ रहे संबंध से साझा लक्ष्य को प्रोत्साहन मिलेगा।

बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्ष इलाके में मुक्त एवं खुली व्यवस्था को प्रोत्साहित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। दोनों पक्षों ने इलाके में साझाी चुनौतियों पर चर्चा की और रक्षा सहयोग का विस्तार करने एवं और मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है।’’

ऑस्टिन का स्वागत करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी भारत यात्रा निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को और मजबूत करने वाली है। सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘कल होने वाली बैठक के लिए उत्सुक हूं।’’

अधिकारियों ने बताया कि ऑस्टिन शनिवार को राजनाथ सिंह से वार्ता करने से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाएंगे और विज्ञान भवन में उन्हें सलामी गारद दिया जाएगा।

उनकी यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद से पैदा हुई चुनौतियों और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) की लागत से अमेरिका से करीब 30 ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है।

मध्य ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम इस ड्रोन का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स करती है। यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्य को भेद सकता है।

बताया जाता है कि करीब 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर भी वार्ता हो सकती है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा साजो सामान निर्माण कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की इस करार पर नजरें हैं।

क्वाड समूह द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना सहयोग विस्तारित करने का संकल्प लेने के कुछ दिनों बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत की यात्रा हो रही है। चार देशों के इस समूह में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं।

ऑस्टिन की यात्रा से पहले विदेश मामलों पर सीनेट की शक्तिशाली कमेटी के अध्यक्ष एवं सीनेटर रॉबर्ट मेंनेंडेज ने अमेरिकी रक्षा मंत्री को एक पत्र लिख कर उनसे भारतीय नेताओं के समक्ष एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद का मुद्दा भी उठाने का अनुरोध किया था। भारत इसे रूस से खरीद रहा है और इसके लिए अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच अरब डॉलर का एक सौदा किया था।

अमेरिका ने एस-400 मिसाइल रूस से खरीदने को लेकर हाल ही में तुर्की पर प्रतिबंध लगाये हैं।

चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति अमेरिका-भारत के बीच वार्ता का एक मुख्य विषय बन गयी है। चीन की बढ़ती आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका क्वाड को एक सुरक्षा ढांचा बनाने का समर्थन कर रहा है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने के लक्ष्य को हासिल करने पर गौर कर रहे हैं। दोनों देशों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों से लगे इलाकों से अपने सैनिकों को हटाने का कार्य पूरा कर लिया है।

ऑस्टिन और सिंह ने 27 जनवरी को टेलीफोन पर वार्ता की थी।

भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों ने पिछले कुछ वर्षों में नये मुकाम हासिल किये हैं।

जून 2016 में अमेरिका ने भारत को ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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