ओटीटी की लोकप्रियता के बल पर पूरे भारत में पहुंचीं विभिन्न भाषाओं की फिल्में

मुंबई, अभिनेताओं की अदाकारी, डब की गई विभिन्न भाषाओं में बनी कहानियों और ओटीटी प्लेटफॉर्म की बढ़ती लोकप्रियता के बल पर देशभर का सिनेमा इस वर्ष अपने परंपरागत दर्शक वर्ग से कहीं आगे बढ़कर पूरे भारत में पहुंचा।

‘मिनाल मुरली’, ‘पुष्पा’, ‘जोजी’, ‘अरण्यक’ और ‘फैमिली मैन 2’ जैसे शो को बड़े पैमाने पर पंसद किया गया। वैसे देशभर की सिनेमाई रचनाओं के आदान-प्रदान की संस्कृति नयी नहीं है लेकिन पहले यह केवल रीमेक तक सीमित थी।

अपनी बहुभाषी फिल्म ‘पुष्पा’ की 16 दिसंबर को रिलीज से पहले तेलुगु फिल्मों के सितारे अल्लू अर्जुन ने कहा था कि 2000 के दशक में उत्तर भारत के सिनेमा में दक्षिण भारत के सिनेमा में साफ विभाजन था जो अब धीरे-धीरे धूमिल हो रहा है।

उन्होंने मुंबई में पत्रकारों से कहा, ‘‘कुछ समय में यह अंतर इस हद तक मिट जाएगा कि आपको पता भी नहीं चलेगा कि फिल्म कहां से आई है। मैं अपनी हर रचना को अखिल भारतीय बनाना चाहता हूं। अब सिनेमा में भाषा कोई अवरोधक नहीं रह गई है।’’

अर्जुन ने सही नस पकड़ ली है और इसका सबूत है उनकी फिल्म से हुई आय। तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी भाषा में रिलीज हुई उनकी फिल्म 11 दिन में 275 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है और इसमें से 39.95 करोड़ रुपये उसने अकेले हिंदी बाजार से कमाए हैं।

‘पुष्पा’ के अलावा फहाद फासिल की ‘जोजी’ को केरल के बाहर भी खूब पसंद किया गया। इसके अलावा उनकी ‘मलिक’ भी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई।

दक्षिण के सितारे कमल हासन, अक्किनेनी नागार्जुन, पृथ्वीराज सुकुमारन और किच्चा सुदीप ने ‘83’ को तमिल, तेलगु, मलयालम और कन्नड़ में रिलीज करने के लिए फिल्म निर्माता रिलायंस एंटरटेनमेंट के साथ हाथ मिलाए।

मलयालम सितारे मोहनलाल ने कहा कि सांस्कृतिक आदान प्रदान वरदान की तरह है। वह कहते हैं, ‘‘यह एक बढ़िया अभियान की तरह है। लोग एक दूसरे को जानते हैं और फिल्में साथ ला सकते हैं।’’

निर्देशक एसएस राजमौली जिनकी फिल्म ‘बाहुबली’ पूरे भारत में बहुत पसंद की गई, वह कहते हैं, ‘‘पूरे भारत के लिए फिल्म का मतलब है एक ऐसी कहानी और भावना जो भाषा से परे जाकर लोगों को एक दूसरे से जोड़े।’’

पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ कमल गियानचंदानी कहते हैं, ‘‘हर वर्ष ‘बाहुबली’ जैसी एक फिल्म आ जाए तो मुझे नहीं लगता कि इस कारोबार को कभी पीछे मुड़कर देखना पड़ेगा।’’

दक्षिण फिल्मों के अभिनेता धनुष कहते हैं कि इस दिशा में सबसे पहले कदम उनके ससुर रजनीकांत ने उठाया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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