ओडिशा के गहिरमाथा तट पर अंडों से निकलकर लाखों नन्हें कछुए समुद्र में जा रहे

केंद्रपाड़ा (ओडिशा), ओडिशा में केंद्रपाड़ा जिले के गहिरमाथा तट पर अनगिनत नन्हें ‘ऑलिव रिडले’ कछुए नजर आ रहे हैं जो अंडे तोड़कर बाहर निकले हैं और कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद समुद्र की ओर बढ़ रहे हैं । पिछले तीन दिन से यह सिलसिला जारी है। बंगाल की खाड़ी में जा रहे ये ऑलिव रिडले कछुए, अपनी सालाना यात्रा के समापन का संकेत दे रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि मादा ऑलिव रिडले कछुओं के लिए दुनिया के सबसे बड़े प्रजनन स्थल गहिरमाथा तट की वार्षिक यात्रा नौ मार्च को पूरी हुई थी। इस साल करीब 5.12 लाख मादा कछुएं अंडे देने गहिरमाथा पहुंची थीं।
कछुओं की प्रजाति ‘‘ऑलिव रिडले’’ की इस यात्रा को ‘अर्रिबादा’ कहा जाता है।
राजनगर मैंग्रोव (वन्यजीव) संभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ अंडों से नन्हें ऑलिव रिडले कछुओं के निकलने का सिलसिला सात से दस दिनों तक चलता है। नन्हें कछुओं की संख्या अगले कुछ दिनों में काफी बढ़ेगी, क्योंकि अंडों से इनके बाहर आने का क्रम जारी है। ’’
इस प्रजनन स्थल को पर्यटकों की पहुंच से दूर रखा गया है और केवल भितरकणिका राष्ट्रीय उद्यान के वन अधिकारी ही इस वार्षिक घटना को देख पाते हैं।
एक वनकर्मी ने कहा, ‘‘ छोटे-छोटे कछुए अंडों से बाहर निकलते हैं और करीब एक घंटे तक इधर-उधर घूमने के बाद समुद्र की ओर बढ़ जाते हैं।’’
मादा कछुए अपने अंडों को बालू के नीचे दबा देती हैं। बालू के नीचे ही अंडों को जरूरी प्राकृतिक ऊष्मा मिलती है। अंडों से नन्हें कछुओं के बाहर निकलने में 45 से 55 दिन लगते हैं। बहरहाल, तब तक माता कछुएं तट से चली जाती हैं और इन नन्हें कछुओं को दुनिया का सामना अकेले करना होता है।
एक अन्य वनकर्मी ने कहा कि ऑलिव रिडले नन्हें कछुओं में मृत्यु दर बहुत अधिक है क्योंकि करीब 1000 ऐसे कछुओं में से महज एक या दो कछुए ही जिंदा बच पाते हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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