ओवैसी बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में अदालत के फैसले से क्षुब्ध

हैदराबाद, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के विशेष सीबीआई अदालत के फैसले पर क्षोभ जाहिर करते हुए एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय एजेंसी को इसके खिलाफ अपील करनी चाहिए।

उन्होंने फैसले को “अप्रिय” कहते हुए दावा किया कि यह पिछले साल नौ नवंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने फैसले में की गयी टिप्पणी के विपरीत है कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस सार्वजनिक पूजा स्थल को ध्वस्त करने की सुनियोजित कार्रवाई और कानून का उल्लंघन था।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर उच्चतम न्यायालय कहता है… क्या 1949 में वहां मूर्तियां जादू से रखी गई थीं? जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब ताले क्या जादू से खोले गए थे? यही कारण है कि मैं कहता हूं कि आज का फैसला उच्चतम न्यायालय के फैसले के विपरीत है।’’ उन्होंने सवाल किया कि कैसे ढांचे को गिराए जाने के पीछे कोई साजिश नहीं थी। उन्होंने सवाल किया कि किसने बड़े पैमाने पर लोगों को बुलाया था।

ओवैसी ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि ‘रोक कंस्ट्रक्शन पर है, डिस्ट्रक्शन पर नहीं।’
ओवैसी ने कहा, “गौरवान्वित भारतीय मुस्लिम’’ के रूप में, वह 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद असहाय और अपमानित महसूस कर रहे थे और आज भी ऐसा ही महसूस किया।

सीबीआई अदालत के फैसले को ‘अप्रिय’ करार देते हुए ओवैसी ने कहा कि सीबीआई को अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने के फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इस ‘विचित्र’ फैसले के खिलाफ अपील करने का आग्रह करते हैं।

ओवैसी ने कहा, ‘‘ यह फैसला हिंदुत्व और उसके अनुयायियों की सामूहिक अंतरात्मा और विचारधारा को संतुष्टि प्रदान करता है।’’

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बी संजय कुमार ने कहा कि इसने “सच्चाई सामने ला दी है।” उन्होंने कहा कि साजिश होने संबंधी कुछ दशकों से हो रही बात गलत साबित हो गयी। कुमार ने कहा, ” यह फैसला उन लोगों के चेहरे पर तमाचा है तो अल्पसंख्यक तुष्टिकरण में शामिल रहे हैं।’’

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

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