कर्नाटक में ‘शक्ति’ योजना लागू होने के बाद से राज्य में विभिन्न जगहों की यात्रा कर रही हैं महिलाएं

बेंगलुरु, कर्नाटक में महिलाओं के लिए राज्य परिवहन निगमों की गैर-लक्जरी बसों में मुफ्त यात्रा करने की योजना शुरू होने के बाद से सरकारी बसों में बड़ी संख्या में महिलाओं को सफर करते हुए देखा जा सकता है। उत्तरी कर्नाटक के यादगीर जिले की हनमक्का अपने जीवन में एक बार धर्मस्थल जाने का सपना लंबे समय से संजोये हुए थी, जो आखिरकार रविवार को 65 साल की उम्र में पूरा हुआ। यादगीर के एक सुदूर गांव की रहने वाली हनमक्का ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी राज्य के सबसे सुदूर दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र जा पाएंगी क्योंकि उनके पास पैसे की कमी थी।

            कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की गारंटी में से एक ‘शक्ति’ योजना के चलते हनमक्का लाखों अन्य महिलाओं की तरह अब राज्य परिवहन निगमों द्वारा संचालित गैर-लक्जरी बसों में मुफ्त यात्रा कर सकती हैं। इस योजना से समाज के सभी वर्ग की महिलाएं 11 जून से शून्य यात्रा खर्च पर राज्य में कहीं भी यात्रा कर सकती हैं। इस नयी योजना से महिलाएं सरकारी बसों में कर्नाटक में विभिन्न जगहों की यात्रा कर रही हैं। कर्नाटक के सबसे पवित्र स्थानों में से एक, तटीय दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रवती नदी के तट पर स्थित धर्मस्थल, महिलाओं का सबसे पसंदीदा स्थान बन गया है और वे वहां बड़ी संख्या में जा रही हैं। रविवार को अमावस्या थी और इस दिन सैकड़ों महिलाओं ने नेत्रवती नदी में डुबकी लगाई और भगवान मंजूनाथ की पूजा की। जहां धर्मस्थल सबसे पसंदीदा स्थलों की सूची में सबसे ऊपर है, वहीं दूसरे स्थल भी हैं जहां की यात्रा महिलाएं कर रही हैं। ‘शक्ति’ योजना लागू होने के बाद महिलाएं बेलगावी में सावदत्ती येल्लम्मा मंदिर, मैसूरु में चामुंडी पहाड़ी, 18वीं शताब्दी के मैसूरु के शासक टीपू सुल्तान की राजधानी श्रीरंगपटना, मैसूरु में नंजनगुड, चिक्कबल्लापुरा में नंदी पहाड़ी, बागलकोट में कुडलसंगमा, उडुपी में मूकाम्बिका मंदिर और कृष्ण मंदिर, विजयपुरा में गोल गुंबज, बीदर में बसवकल्याण, बेलगावी में कित्तूर, विजयनगर जिले में हम्पी, कोप्पल में अंजनाद्री पहाड़ी, चामराजनगर में माले महादेश्वर मंदिर और चित्रदुर्ग जिले में चित्रदुर्ग किले जैसे स्थानों का भ्रमण करने जा रही हैं।

            राज्य सरकार के स्वामित्व वाले चार परिवहन निगमों में, कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी), उत्तर पश्चिम कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (एनडब्ल्यूकेआरटीसी) और कल्याण कर्नाटक सड़क परिवहन निगम (केकेआरटीसी) की बसों में खचाखच भीड़ है। केवल बेंगलुरु शहर में चलने वाली बैंगलोर महानगर परिवहन निगम की बसों में ही अन्य परिवहन निगम की बसों की तरह भीड़ नहीं है।  इन राज्य सड़क परिवहन निगम (एसआटीसी) की बसों में सामान्य तौर पर पुरुषों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए, लेकिन उनमें से ज्यादातर में महिलाओं की भीड़ है।

            जगह के लिए महिलाओं द्वारा धक्का-मुक्की और सीट हासिल करने के लिए बच्चों को खिड़की से सरकारी बसों में धकेलना बस स्टैंड पर आम दृश्य बन गया है। चामराजनगर जिले के कोल्लेगला शहर में, केएसआरटीसी की एक बस का दरवाजा महिलाओं की जबर्दस्त भीड़ की वजह से टूटकर गिर गया। ये महिलाएं अमावस्या के अवसर पर भगवान शिव की विशेष पूजा करने के लिए माले महादेश्वरा मंदिर जा रही थीं।  

            कर्नाटक परिवहन विभाग के अनुसार, 11 जून को शुरू होने के बाद से इस योजना पर राज्य के खजाने से 70.29 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं और 17 जून तक 3.12 करोड़ महिलाओं ने सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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