कोविड बाद की स्वास्थ्य समस्याएं : प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए न्यूट्रास्युटिकल विकसित करने का दावा

कोच्चि, केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) ने दावा किया है कि उसने समुद्री शैवाल से ‘न्यूट्रास्युटिकल’ विकसित की है, जिसके सेवन से कोविड बाद की स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। ‘न्यूट्रास्युटिकल’ खाद्य स्रोतों से प्राप्त उत्पाद हैं जो पोषण और औषधीय गुणों, दोनों से युक्त होते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से संबद्ध सीएमएफआरआई ने यहां जारी एक बयान में कहा कि ‘कैडालमिनटीएम इम्युनालगिन’ अर्क (कैडालमिनटीएम-आईएमई) नामक उत्पाद में वायरस रोधी गुण है और यह सार्स कोवि-2 वायरस के खिलाफ भी कारगर है।

             बयान में सीएमएफआरआई में समुद्री जैवप्रौद्योगिकी, मत्स्य पोषण और स्वास्थ्य प्रभाग की प्रमुख डॉ. काजल चक्रवर्ती के हवाले से कहा गया है,‘‘यह उत्पाद समुद्री शैवाल-आधारित न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद का एक संयोजन है। यह पर्यावरण-अनुकूल ‘हरित’ तकनीक के जरिये निकाले गए अत्यधिक पौष्टिक जैव सक्रिय अवयवों का 100 प्रतिशत प्राकृतिक मिश्रण है।’’ न्यूट्रास्युटिकल का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, जैसा कि क्लीनिकल परीक्षण पूर्व विवरण में दावा किया गया है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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