चीन की ‘प्रशांत’ योजना, क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने का जरिया

वेलिंग्टन (न्यूजीलैंड), चीन ने गत अप्रैल में जब सोलोमन आईलैंड्स के साथ सुरक्षा समझौता किया था तब अमेरिका और इसके सहयोगी देशों ने यह कहते हुए चिंता जताई थी कि परम्परागत अमेरिकी नौसेना के प्रभुत्व वाले दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में चीन कोई सैन्य अड्डा तैयार कर सकता है।

लेकिन, चीन ने इस सप्ताह यह विवाद और बढ़ाते हुए सोलोमन आईलैंड्स और नौ अन्य द्वीपीय राष्ट्रों के समक्ष सुरक्षा प्रस्ताव रखे हैं तथा यदि इसमें उसे आंशिक सफलता भी मिलती है तो चीन प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति हवाई, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अमेरिकी क्षेत्र गुआम के बहुत करीब दर्ज करा सकेगा।

चीन ने जोर देकर कहा है कि उसका प्रस्ताव क्षेत्रीय स्थायित्व और आर्थिक विकास के लिए है, लेकिन विशेषज्ञों और विभिन्न सरकारों को आशंका है कि इसकी आड़ में चीन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके में अपने विस्तार देने में जुटा है।

इस बीच चीन के लक्षित देशों में से एक मैक्रोनेसिया के राष्ट्रपति डेविड पैनुएलो ने अन्य देशों को आगाह किया है कि वे समझौता न करें, अन्यथा इससे क्षेत्र में शीतयुद्ध की आशंका प्रबल होती है। उन्होंने कहा कि यदि बहुत खराब स्थिति हुई तो एक और विश्वयुद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

एसोसिएटेड प्रेस को हाथ लगे चीन के मसौदा प्रस्ताव से यह प्रदर्शित होता है कि चीन प्रशांत पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, साथ ही ‘‘परम्परागत और गैर-परम्परागत सुरक्षा’’ को लेकर संगठित करना और कानून प्रवर्तन सहयोग को बढ़ाना चाहता है।

चीन संयुक्त रूप से मत्स्य उद्योग के लिए समुद्री योजना विकसित करना और प्रशांत राष्ट्रों के साथ मुक्त कारोबार की संभावना भी तलाशना चाहता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस सप्ताह चीन के प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा है कि ये ‘परस्पर लाभ के सिद्धांत, सभी के लिए लाभ की स्थिति वाला सहयोग, मुक्त एवं समग्रता पर आधारित प्रस्ताव हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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