चीन ने कहा, महामारी नियंत्रण में नहीं दे सकते रियायत, विदेशी छात्रों की वापसी अनिश्चित

बीजिंग, चीन ने कहा है कि वह विदेशी यात्रियों के लिये “महामारी नियंत्रण में छूट नहीं दे सकता” और संकेत दिए कि फिलहाल 23 हजार भारतीयों समेत चार लाख से ज्यादा विदेशी छात्रों को वापसी की इजाजत देने की कोई योजना नहीं है। इन छात्रों में से अधिकतर चीन के विश्वविद्यालयों में चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के उप मंत्री ली बिन ने कहा कि प्राधिकारी आयातित संक्रमण को स्थानीय स्तर पर फैलने से रोकने और आयातित वस्तुओं की निगरानी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करते रहेंगे।

उन्होंने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं को बताया, “कुछ शहरों में हाल में स्थानीय क्लस्टर देखे गए हैं, जो विदेश से आयातित डेल्टा स्वरूप के कारण हुए हैं। इनमें ग्वांगझाउ, शेनजेन और रुइली शामिल हैं।”

हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने उन्हें उद्धृत करते हुए कहा, “इन लहरों ने हमें याद दिलाया है कि हम अपने महामारी नियंत्रण उपायों में ढील नहीं दे सकते।”

म्यांमा सीमा से लगे शहर रुइली में बुधवार को लॉकडाउन लगा दिया गया क्योंकि अधिकारी चीन में कोविड-19 को नवीनतम प्रसार को नियंत्रित रखना चाहते हैं, जो डेल्टा स्वरूप से संबंधित है।

चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को चार लाख से ज्यादा विदेशी छात्रों की वापस लौटने की इजाजत देने संबंधी सवालों को टाले जाने के बाद ली की यह टिप्पणी आई है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से यहां पढ़ने के लिये आने वाले वो छात्र पढ़ाई फिर से शुरू करने के लिये यहां आना चाहते हैं, जो पिछले साल से ही अपने देश में फंसे हुए हैं।

छात्रों की वापसी की इजाजत देने की मांग न सिर्फ भारत से बल्कि अन्य देशों से भी मुखर हुई है और हताश छात्रों ने इस महीने के शुरू में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पत्र लिखकर अपने विश्वविद्यालयों में लौटने के लिये उनसे दखल का अनुरोध किया था।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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