चोरी के पुरावशेष फिर से हासिल करने के लिए सांस्कृतिक विरासत प्रभाग बनाने का संसदीय समिति का सुझाव

नयी दिल्ली, संसद की एक समिति ने पुरावशेषों की चोरी पर संज्ञान लेते हुए इनकी रोकथाम एवं फिर से हासिल करने के लिए सभी एजेंसियों एवं मंत्रालयों के परामर्श से एक ‘‘विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत प्रभाग’’ की स्थापना की संभावना का पता लगाने की सिफारिश की है।  संसद के दोनों सदनों में सोमवार को पेश ‘‘विरासत से जुड़ी चीजों की चोरी-भारतीय पुरावशेषों का अवैध व्यापार और हमारी मूर्त सांस्कृतिक विरासत का पुनरूद्धार एवं सुरक्षा में आने वाली चुनौतियां’’ विषय पर वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य विजय साई रेड्डी की अध्यक्षता वाली विभाग संबंधित परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

              रिपोर्ट के अनुसार, समिति महसूस करती है कि चोरी के पुरावशेषों की सीमा पार तस्करी को रोकने के साथ-साथ चोरी के पुरावशेषों की बरामदगी के लिए विभिन्न एजेंसियों/मंत्रालयों के बीच समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    समिति की राय है कि सभी संबंधित मंत्रालय/एजेंसियां जैसे संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, राज्य सरकारें, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड और राजस्व खुफिया निदेशालय को एक साथ आना चाहिए और हमारी मूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और उन्हें फिर से हासिल करने के लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

             रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ समिति सिफारिश करती है कि संस्कृति मंत्रालय उपरोक्त सभी एजेंसियों एवं मंत्रालयों के परामर्श से एक ‘‘विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत प्रभाग’’ की स्थापना की संभावना का पता लगाए।’’ इसके अनुसार, समिति यही महसूस करती है कि त्वरित और सटीक जानकारी साझा करना विभिन्न एजेंसियों और मंत्रालयों के बीच समन्वय की कुंजी है। ऐसे में वह सिफारिश करती है कि संस्कृति मंत्रालय तकनीकी प्रगति पर अपना ध्यान केंद्रित करे और सूचना साझा करने वाले पोर्टल के निर्माण की दिशा में काम करे। रिपोर्ट के अनुसार समिति यह भी सिफारिश करती है कि मंत्रालय उक्त सूचना पोर्टल पर वास्तविक समय की जानकारी रखने के लिए तंत्र तैयार करे जिसे सभी संबंधित एजेंसियां उपयोग कर सकें और पुरावशेषों की आवाजाही पर नजर रखने में मदद मिल सके।

समिति की राय है कि चोरी और बरामद की गई संपत्ति के मूल्य की सटीक मात्रा निर्धारित करने के लिए पुरावशेषों का मूल्यांकन आवश्यक है। इस संबंध में समिति ने सिफारिश दोहराई कि अवशेषों का मूल्यांकन प्रलेखन स्तर पर ही किया जाना चाहिए ताकि चोरी या तस्करी की गई वस्तुओं के मूल्य का पता लगाना आसान हो सके। इस प्रयोजन के लिए मंत्रालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञ इतिहासकारों और अधिकारियों की एक समिति बनाए।

            रिपोर्ट में कहा गया है कि चोरी की गई वस्तुओं के सीमापार हस्तांतरण के मामले में अन्य देशों में अपनाई जाने वाली जांच विधियों से परिचित होना भी महत्वपूर्ण है। समिति ने रिपोर्ट में सिफारिश की है कि संस्कृति मंत्रालय को अन्य संबंधित एजेंसियों के कर्मियों के साथ-साथ अपने अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण विकसित करने चाहिए और चोरी की पहचान और प्राप्ति के लिए आवश्यक कौशल से सशक्त बनाना एवं इसके लिए नियमित सत्र आयोजित करने चाहिए।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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