छात्रों के लिए शिक्षा चैनल शुरू करने पर विचार करें : उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि केंद्र सरकार के साथ विचार-विमर्श कर शिक्षा के लिए समर्पित चैनल शुरू करने पर विचार करें ताकि कोविड-19 महामारी के दौर में दिव्यांग बच्चों सहित छात्रों को परेशानी नहीं हो।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि खराब मोबाइल नेटवर्क संपर्क या कई बार मोबाइल फोन खरीदने के लिए धन की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र ऑनलाइन कक्षाएं ऐप के माध्यम से नहीं कर पाते हैं।

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘‘जब मैं नागपुर या औरंगाबाद की यात्रा करता हूं तो मोबाइल नेटवर्क कनेक्शन नहीं होता है। फिर आप ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? राज्य सरकार को सिर्फ मोबाइल नेटवर्क के भरोसे नहीं रहना चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार के साथ विचार-विमर्श कर शिक्षा के लिए समर्पित चैनल शुरू करने पर विचार करना चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘‘फिल्मों एवं मनोरंजन के लिए हमारे पास सैकड़ों चैनल हैं लेकिन शिक्षा के लिए एक भी चैनल नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों सहित हर घर में टेलीविजन है। महामारी के इस समय में छात्रों और खासकर ग्रामीण इलकों के छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘शिक्षा को नहीं पिछड़ना चाहिए। शहरी क्षेत्रों में ऑनलाइन पढ़ाई हो सकती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास मोबाइल खरीदने का पैसा नहीं हो सकता है। आप (सरकार) गूगल मीट और जूम मीटिंग ऐप पर कक्षाओं का आयोजन कर रहे हैं। अगर मोबाइल नेटवर्क कनेक्शन नहीं होगा तो क्या होगा?’’

उच्च न्यायालय गैर सरकारी संगठन ‘अनमप्रेम’ की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोविड-19 महामारी के समय में दिव्यांग छात्रों को पढ़ाई में आ रही समस्याओं को उठाया गया।

अदालत याचिका पर अगली सुनवाई पांच अगस्त को करेगी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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