येरेवान (आर्मेनिया), विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संपर्क बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को ईरान में रणनीतिक महत्व के चाबहार बंदरगाह को उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा में शामिल करने का प्रस्ताव किया। साथ ही, वह भविष्य में सहयोग के लिए एक कार्य योजना पर सहमत हुए और उन्होंने आर्मेनियाई विदेश मंत्री ए. मिरजोयान के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर मध्य एशिया के तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में मंगलवार को आर्मेनिया पहुंचे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करना तथा अफगानिस्तान में घटनाक्रमों सहित प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करना है।
भारत के किसी विदेश मंत्री की यह पहली आर्मेनिया यात्रा है।
जयशंकर ने आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशीनयान से भी मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दी।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आज मेरी अगवानी करने के लिए धन्यवाद प्रधानमंत्री निकोल पाशीनयान। बैठक ने हमारे दोनों देशों के बीच समन्वय और साझा दृष्टिकोण की ओर ध्यान आकृष्ट किया। हम व्यावहारिक सहयोग का व्यापक एजेंडा तैयार करने पर सहमत हुए जो हमारे परस्पर हित में है।’’
इससे पहले जयशंकर ने आर्मेनिया के अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत और आर्मेनिया, दोनों देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएससटीसी) के सदस्य है। यह संपर्क में आने वाली बाधाओं को खत्म कर सकता है। इसलिए मंत्री मिरजोयान और मैंने ईरान में भारत द्वारा विकसित किये जा रहे चाबहार बंदरगाह में आर्मेनिया की रूचि पर चर्चा की। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमनें प्रस्ताव किया कि चाबहार बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा में विकसित किया जाए, हम चाबहार बंदरगाह के उपयोग और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने वाली किसी भी अन्य कोशिश का स्वागत करते हैं, जो क्षेत्रीय सपंर्क को बढ़ाता हो।’’
ईरान के संसाधन संपन्न सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत के दक्षिणी तट पर स्थित चाबहार बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी तट से आसानी से पहुंचा जा सकता है और इसे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह की काट माना जा रहा है, जो चाबहार से करीब 80 किमी दूर स्थित है।
राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध विस्तारित होने का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग तथा पर्यटन, आतिथ्य सत्कार, बुनियादी ढांचा व निवेश को और मजबूत करने की स्पष्ट रूप से गुंजाइश है।
चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण का उद्घाटन दिसंबर 2017 में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया था, जिसने ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक महत्व का एक नया मार्ग खोल दिया जो पाकिस्तान से होकर नहीं गुजरता है।
चाबहार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के लिए स्वर्णिम अवसरों का एक द्वार माना जा रहा है।
चाबहार बंदरगाह विकसित करने में भारत की रूचि के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘हम रूचि रख रहे हैं क्योंकि यदि हम ईरान में और भी बंदरगाह विकसित करते हैं और फिर उन बंदरगाहों से ईरान के उत्तर की ओर संपर्क व्यापार के और अधिक मार्ग खुलेंगे, जो भूमि से होकर गुजरेंगे और वह इन समुद्री मार्गों की तुलना में कहीं अधिक कारगर होंगे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मंत्री के साथ चाबहार का जिक्र किया क्योंकि यह ईरान में एक ऐसा बंदरगाह है जिसे भारत विकसित कर रहा है और हमारे लिए यह कॉकेशस (यूरोप और एशिया के बीचों बीच) से कम से कम एक ओर जाने का मार्ग खोलता है जो मध्य एशिया जाता है।’’
उन्होंने कहा कि भारत और आर्मेनिया के बीच एक अहम सेतु भारतीय छात्रों की बड़ी संख्या है। उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से करीब 3,000 छात्र आर्मेनिया में मेडिकल शिक्षा हासिल कर रहे हैं। ’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट और अन्य मंचों के लिए हमारी उम्मीदवारी का समर्थन करने को लेकर आर्मेनिया के आभारी हैं।’’
क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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