ठाणे की नौ अवैध इमारतों से लोगों की बेदखली पर रोक लगाने से अदालत का इनकार

मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को ठाणे जिले की नौ अवैध इमारतों में रह रहे लोगों की बेदखली पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह चाहती है कि सभी नागरिक गरिमायुक्त जीवन बिताएं और इस डर के साथ जीवन नहीं गुजारें कि उनकी इमारत बरसात में कभी भी ‘ताश के पत्तों की तरह ढेर’ हो सकती है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने कहा कि वह नहीं चाहती कि नागरिक बारिश के दौरान अपनी इमारतों के गिरने के जोखिम के साथ जीवन जीयें।

अदालत ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि आप सभी एक गरिमायुक्त जीवन जीयें, ऐसा जीवन नहीं जिसमें हमेशा जोखिम रहे… ऐसा ना हो कि जब भी बारिश हो, तो लगे कि इमारत ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी।’’ अदालत ठाणे जिले के तीन निवासियों द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जिले के मुंब्रा इलाके में स्थित नौ जीर्ण-शीर्ण अवैध इमारतों को गिराने और इसमें रहने वाले लोगों को बेदखल करने की मांग की गई थी।

पिछले सप्ताह याचिकाकर्ताओं की वकील नीता कार्णिक ने पीठ को सूचित किया था कि ठाणे नगर निगम (टीएमसी) द्वारा इन इमारतों को गिराने का नोटिस देने और बिजली-पानी की आपूर्ति काटने के बावजूद लोगों का इमारत पर कब्जा जारी है।

टीएमसी के वकील राम आप्टे ने सोमवार को पुष्टि की कि नगर निकाय ने वर्ष 2019 और फिर 2021 में इमारतों को गिराने का नोटिस लोगों को दिया था। तब उक्त इमारत के निवासियों के वकील सुहास ओक ने परिसर खाली करने के लिए समय मांगा था।

हालांकि, अदालत ने कहा कि उसने पिछले सप्ताह सभी निवासियों को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वेच्छा से परिसर खाली करने के लिए कहा था। पीठ ने कहा कि उसके लिए इन सभी निवासियों का जीवन बहुत कीमती है।

अदालत ने टीएमसी से कहा कि वह दिन के अंत तक नौ इमारतों में से प्रत्येक में रहने वालों की संख्या के विवरण के साथ एक हलफनामा दाखिल करे।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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