दर्शकों की प्रशंसा पुरस्कारों से अधिक मायने रखती है : प्रसनजीत चटर्जी

कोलकाता, बंगाली फिल्मों के सुपरस्टार प्रसनजीत चटर्जी का कहना है कि राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए अब तक उनके नाम पर विचार नहीं किए जाने का उन्हें कोई मलाल नहीं है।

प्रसनजीत ने कहा कि उनका मानना है कि दर्शकों और निर्देशकों द्वारा की गई प्रशंसा और दिया गया प्यार सबसे बड़ा पुरस्कार है। बंगाली फिल्म जगत में गत चार दशक से सक्रिय प्रसनजीत ने कहा कि वह दिवंगत अभिनेता सौमित्र चटर्जी से प्रेरणा लेते हैं, जिन्हें वह ‘अंकल’ कहकर पुकारते थे।

उन्होंने कोलकाता में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं इन मुद्दों (राष्ट्रीय पुरस्कार) पर अब ध्यान नहीं देता। सौमित्र अंकल को चार दशक के उनके करियर में ‘पोदोखेप’ (वर्ष 2006 में प्रदर्शित) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था… मैं उनकी तुलना में कुछ भी नहीं हूं। मैं उनके सामने कहीं नहीं ठहरता हूं।’’

उल्लेखनीय है कि 61 वर्षीय प्रसनजीत ने अब तक 349 फिल्मों में काम किया है और उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड, बंगाली फिल्म पत्रकार पुरस्कार और देश में फिल्म समालोचकों के सबसे पुराने संगठन के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

इसके अलावा, प्रसनजीत को वर्ष 2007 में प्रदर्शित फिल्म ‘दूसर’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विशेष उल्लेख पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। प्रसनजीत की नवीनतम फिल्म ‘शेष पाता’ 14 अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है, जिसमें उन्होंने ‘अमर सांघी’ की भूमिका निभा रहे हैं।

प्रसनजीत ने कहा, ‘‘यह कोई मायने नहीं रखता कि मुझे कोई पुरस्कार नहीं मिलता, क्योंकि मैं दर्शकों, मेरे निर्देशकों, आलोचकों द्वारा की गई प्रशंसा और उनके द्वारा दिए गए प्यार से बहुत ही खुश हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार और प्रमाण पत्र है।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

%d bloggers like this: