दिल्ली उच्च न्यायालय ने वनों की सुरक्षा के लिए बल तैनात करने को लेकर केंद्र से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है, जिसमें पूछा गया था कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में वन क्षेत्र को जमीन कब्जाने वाले और भू-माफियाओं की अवैध गतिविधियों या अतिक्रमण से बचाने के लिए किसी तरह के सुरक्षा बल तैनात किए जा सकते हैं।

अदालत का यह निर्देश उस याचिका पर आया जिसमें केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार के वन एवं वन्यजीव विभाग में पर्याप्त संख्या में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों को तैनात करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जवाब में कहा कि वन अधिकारियों को जमीन कब्जाने वालों और माफियाओं से लगातार धमकी मिलती रहती है और वन क्षेत्रों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को तैनात करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

हालांकि, केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि सीआईएसएफ नियम ऐसी तैनाती की अनुमति नहीं देते हैं।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘भारत सरकार के अधिवक्ता को यह निर्देश प्राप्त करने को कहा गया है कि क्या वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए किसी अन्य बल को तैनात किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वन क्षेत्र में भू-माफियाओं आदि द्वारा कोई भी अवैध गतिविधि या अतिक्रमण न किया जा सके।’’

याचिकाकर्ता ने अग्रिम मोर्चे के वन कर्मचारियों के सहयोग और उनकी रक्षा के लिए तथा राष्ट्रीय राजधानी के आरक्षित और संरक्षित वनों के सरंक्षण के लिए तत्काल आधार पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों की तैनाती को लेकर अदालत से निर्देश देने की मांग की।

अदालत ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें मामले में समय पर जवाब दाखिल नहीं करने पर पूर्व में लगाए गए 50,000 रुपये के जुर्माने को माफ करने की मांग की गई थी।

अदालत ने कहा कि इस राशि का उपयोग पिलखन, अमलतास, पीपल, गूलर, कदम और नीम के पेड़ लगाने के लिए किया जाएगा।  मामले की अगली सुनवाई मई में होगी।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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