नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते दिवाला शोधन प्रक्रिया शुरू करने की नयी अर्जी लगाने पर सरकार द्वारा पिछली तिथि रोक लगाने से न तो कंपनियों का कर्ज भार समाप्त हो जाता है और न ही बैंकों का कर्ज वसूलने का अधिकार खत्म होता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर कोविड-19 महामारी के चलते दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में धारा 10ए को जोड़ा है। हालांकि इसमें ऐसी कोई शर्त नहीं है कि संबंधित न्यायाधिकरण इस बात की जांच करे कि महामारी के चलते कर्जदार कंपनी को कोई नुकसान हुआ, और हुआ तो कितना नुकसान हुआ?
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि संसद ने इस मामले में विधायी रूप से इस लिए हस्तक्षेप किया क्यों कि एक अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट खड़ा हो गया था।
पीठ ने यह भी कहा कि , यह ध्यान दिया जाना चाहिये कि निर्धारित अवधि के अंदर कॉरपोरेट दिवाला शोधन प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी लगाने पर लगायी गयी रोक से न तो कंपनी की देनदारी समाप्त हो जाती है और न ही कर्जदाता का कर्ज वसूलने का अधिकार खत्म होता है।
क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया