दुष्प्रचार के लिए अलगाववादियों के परिजनों को किया जा रहा परेशान : महबूबा

श्रीनगर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में अधिकारी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने के लिए अलगाववादियों के परिजनों को परेशान कर रहे हैं।

उनकी टिप्पणी जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की बेटी समा शब्बीर और दिवंगत पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी की नातिन रुवा शाह द्वारा अलगाववादी विचारधारा से खुद को अलग करने और भारत संघ की संप्रभुता के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प जताने के बाद आई है।

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कश्मीर ने ऐसा समय देखा है जब बंदूकधारी आतंकवादियों ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं को खुद को मुख्यधारा से अलग करने के लिए धमकाया और मजबूर किया और ऐसा न करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। आज वही पैटर्न दोहराया जा रहा है और जो बात और भी अधिक परेशान करने वाली है वह यह है कि यह भूमिका स्वयं राज्य द्वारा निभाई जा रही है। वे अलगाववादियों के परिवारों को परेशान कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दुष्प्रचार के लिए उनकी बेटियों तक को नहीं छोड़ा जा रहा और उनके परिवारों से अलग किया जा रहा है। क्रूर कार्रवाई और दमन के बाद भी भारत सरकार भयभीत महसूस कर रही है। ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों के लिए बेशर्मी शब्द अधूरा है।’’

स्थानीय अखबारों में प्रकाशित एक जैसे सार्वजनिक नोटिसों के माध्यम से समा शब्बीर और रूवा शाह ने खुद को अलगाववादी राजनीति से अलग करने की सूचना दी।

गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश की बेटी रूवा ने अपने दिवंगत नाना द्वारा स्थापित हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट से खुद को अलग करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि हुर्रियत विचारधारा के प्रति उनका कोई झुकाव या सहानुभूति नहीं है।

पिछले सप्ताह एक स्थानीय दैनिक में प्रकाशित नोटिस में उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं और ऐसे किसी संगठन या संघ से संबद्ध नहीं हूं जिसका भारत संघ के खिलाफ एजेंडा है और मैं अपने देश (भारत) के संविधान के प्रति निष्ठा रखती हूं।’’

उनके पिता का लंबी बीमारी के बाद पिछले साल निधन हो गया था। वह कथित आतंकी वित्तपोषण के मामले में जेल में थे।

एक स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित एक अलग सार्वजनिक नोटिस में, कश्मीर में सीबीएसई परीक्षा में अव्वल रहने वाली 23 वर्षीय समा शब्बीर ने एक वफादार भारतीय नागरिक के रूप में अपनी पहचान पर जोर दिया और स्पष्ट रूप से जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीएफपी) से दूरी बनाई।

प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन जेकेडीएफपी की स्थापना समा के पिता ने की थी जो धनशोधन और आतंकवाद वित्तपोषण के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भी तरह डीएफपी या उसकी विचारधारा से जुड़ी नहीं हूं।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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