नयी दिल्ली कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह द्वारा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा जाना न्यायपालिका को डराने-धमकाने की रणनीति का हिस्सा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि न्यायपालिका को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस से नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से है। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने ‘‘सोचे समझे दबाव गलत सूचना और सार्वजनिक रूप से अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने के कुछ गुटों’’ के बढ़ते प्रयासों पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। इस पत्र के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने संवाददाताओं से कहा ‘‘21 पूर्व न्यायाधीशों ने खत लिखा है जो इस बात की एक और मिसाल है कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उच्चतम न्यायालय को धमकी दे रहे हैं डरा रहे हैं और दबाव बना रहे हैं।’’
उनका कहना था ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि मणिपुर में संविधान नहीं बचा है। इसके बाद उसने कहा था कि चुनावी बॉण्ड असंवैधानिक है। उच्चतम न्यायालय में एक न्यायाधीश ने नोटबंदी की आलोचना की थी। इसलिए एक निष्पक्ष न्यायपालिका को डराने और धमकी देने के लिए यह तरीका अपनाया गया है।
रमेश ने दावा किया कि पत्र लिखने वाले पूर्व न्यायाधीशों की सूची में चौथे नंबर का नाम देखने से ही पूरा राज खुल जाता है। पत्र लिखने वाले पूर्व न्यायाधीशों की सूची में चौथे स्थान पर न्यायमूर्ति( सेवानिवृत्त) एम आर शाह का नाम है। कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया ‘‘न्यायपालिका को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस से नहीं है बल्कि भाजपा प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से है। इस खतरे से ध्यान हटाने के लिए ये खत लिखवाए जा रहे हैं। यह मोदी सरकार की रणनीति है।’’
क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
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