न्यायालय ने आयकर विभाग को गैर सरकारी संगठन की आय का पुनर्मूल्यांकन करने की अनुमति दी

नयी दिल्ली   उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को आयकर विभाग को गैर सरकारी संगठन ‘एनवायरोनिक्स ट्रस्ट’ की कर योग्य आय के पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दी जिस पर विकासात्मक परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप है।      

हालांकि  अदालत ने कहा कि मामले में कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि एनवायरोनिक्स ट्रस्ट आयकर विभाग की जांच में सहयोग करेगा।         पीठ दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले साल के आठ नवंबर के आदेश को चुनौती देने वाली एनजीओ की अपील पर सुनवाई कर रही थी।         

पीठ ने आदेश दिया  ‘‘विभाग पुनर्मूल्यांकन/मूल्यांकन कार्यवाही जारी रख सकता है लेकिन अदालत की पूर्व अनुमति के बिना कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा।’’        

एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है  जिसने आयकर विभाग द्वारा जारी पुनर्मूल्यांकन नोटिस को चुनौती देने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी है।  विभाग की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी क्योंकि आयकर अधिनियम के तहत इसके पंजीकरण को रद्द करने के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया था।          

उन्होंने कहा कि इस मामले में सात सितंबर  2022 को दिल्ली में आयकर विभाग की जांच शाखा द्वारा एक सर्वेक्षण कार्रवाई की गई थी और सर्वेक्षण के दौरान एकत्र की गई सामग्री को मूल्यांकन अधिकारी (एओ) के साथ साझा किया गया था।         

 मेहता ने बताया कि सामग्री का विश्लेषण करने और सबूतों पर गौर करने पर यह पाया गया कि एनजीओ की गतिविधियां न तो वास्तविक हैं और न ही ट्रस्ट के उद्देश्यों के अनुसार की जा रही हैं।    

 उन्होंने कहा कि विभाग ने एनजीओ की याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए एक हलफनामा दाखिल किया है।          हलफनामे में कहा गया है  ‘‘यह पाया गया कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट को विदेशी संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है और इसका उपयोग उन सार्वजनिक परियोजनाओं को रोकने के लिए किया जा रहा है जो भारत के हित में हैं। यह भी पाया गया कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट सार्वजनिक परियोजनाओं के खिलाफ विरोध करने के लिए पैसे देकर प्रदर्शनकारियों की भर्ती कर रहा है। याचिकाकर्ता ट्रस्ट की 90 प्रतिशत से अधिक आय विदेशी दान से आती है।’ हलफनामे में कहा गया है  ‘‘एनवायरोनिक्स ट्रस्ट ने ‘घरों में राहत पैकेज के वितरण’ की आड़ में ओडिशा के एक गांव में परियोजना स्थल पर विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को वित्त पोषित किया।’’          इसमें कहा गया है कि एनजीओ ने कथित तौर पर 711 लोगों में से प्रत्येक व्यक्ति के बैंक खाते में 15 नवंबर 2020 को 1 250 रुपये अंतरित किए थे।              

यह भी कहा गया है कि इस तरह से एनवायरोनिक्स ट्रस्ट विदेशी चंदे का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए करने के बजाय विकास परियोजनाओं को रोकने के लिए कर रहा है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

%d bloggers like this: