न्यायालय ने टीका खरीद के लिये 35,000 करोड़ रुपये के कोष में से खर्च राशि का ब्योरा मांगा

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से मौजूदा उदारीकृत टीकाकरण नीति के तहत 2021-22 के बजट में कोविड-19 टीका खरीद को लेकर निर्धारित 35,000 करोड़ रुपये के कोष में से खर्च की गयी राशि के बारे में विस्तृत जानकारी देने को कहा है। न्यायालय ने यह भी पूछा कि आखिर कोष का उपयोग 18 से 44 साल के लोगों के टीकाकरण पर क्यों नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने केंद्र की उदारीकृत टीकाकरण नीति पर भी गंभीर सवाल उठाए। यह नीति राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों और निजी अस्पतालों को देश में सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) द्वारा मंजूर मासिक खुराक में से 50 प्रतिशत खुराक पूर्व-निर्धारित कीमत पर खरीदने की अनुमति देती है।

न्यायालय ने कहा कि यदि केंद्र की एकाधिकारवादी खरीदार की स्थिति विनिर्माताओं से बहुत कम दर पर टीके प्राप्त करने का एकमात्र कारण है, तो ऐसे में अदालत के लिए संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौजूदा उदारीकृत टीकाकरण नीति की युक्तिसंगतता की जांच करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विशेष रूप से वित्तीय संकट से जूझ रहे राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों पर गंभीर बोझ डाल सकती है।

न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश एल एन राव और न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट की एक विशेष पीठ ने कहा कि केंद्र का तर्क है कि प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए उदारीकृत टीकाकरण नीति लायी गयी है। यह अधिक निजी निर्माताओं को आकर्षित करेगा और इससे अंततः कीमतों में कमी आ सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्ट्या, दो टीका विनिर्माताओं के साथ बातचीत को लेकर गुंजाइश केवल कीमत और मात्रा थी। जबकि दोनों ही केंद्र सरकार द्वारा पहले से तय किए गए हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा के कारण उच्च कीमत को लेकर भारत सरकार का जो तर्क है, उसको लेकर गंभीर संदेह पैदा होता है।’’

न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार का तर्क है कि बड़े स्तर पर खरीद ऑर्डर की उसकी क्षमता से टीके की कीमतें कम हुई। इससे सवाल उठता है कि आखिर इस तर्क को 100 प्रतिशत मासिक सीडीएल खुराकों की खरीद के लिये क्यों नहीं अपनाया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में टीकों की खरीद के लिए 35,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। उदारीकृत टीकाकरण नीति के संदर्भ में, केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि इस कोष को अब तक कैसे खर्च किया गया है और 18-44 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए उनका उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता है।’’

न्यायालय ने केंद्र से इस बारे में भी स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि सरकार के टीकों के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी ने निर्माताओं के जोखिम को कम किया है, ऐसे में कीमत निर्धारण में इस कारक को शामिल किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कुछ और मुद्दों पर भी केन्द्र से स्पष्टीकरण देने को कहा है।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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