न्यायालय ने वन भूमि का संरक्षण नहीं करने के लिए अधिकारियों से नाखुशी जताई

 नयी दिल्ली  उच्चतम न्यायालय ने वन भूमि का संरक्षण करने में जिम्मेदारी नहीं निभाने के लिए तेलंगाना के अधिकारियों से नाखुशी जताते हुए बृहस्पतिवार को न केवल वारंगल जिले में 106.34 एकड़ वन भूमि को निजी घोषित करने के उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया बल्कि निजी क्षेत्र के एक व्यक्ति को इस जमीन को ‘कृपापूर्वक उपहार’ में देने के लिए अदालत की आलोचना भी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि जंगलों को लेकर दृष्टिकोण बदलने की बहुत जरूरत है। न्यायालय ने कहा कि जंगलों के महत्व को लेकर मनुष्य को चुनिंदा तरीके से भूलने की आदत है। उसने कहा  ‘‘समय की मांग है कि मानव केंद्रित (मनुष्यों को सबसे महत्वपूर्ण मानना) दृष्टिकोण से पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण में परिवर्तन किया जाए जिसमें पर्यावरण के हित में एक व्यापक परिप्रेक्ष्य शामिल हो।’’       

न्यायालय ने कहा  ‘‘आनंदित जीवन का अधिकार किसी विशिष्ट समूह तक ही सीमित नहीं किया जा सकता है  और इसी तरह मनुष्यों तक भी। उसने कहा कि समय आ गया है कि मानव जाति नदियों  झीलों  समुद्र तटों  पर्वत श्रेणियों  पेड़ों  पहाड़ों  समुद्रों और हवा के अधिकारों का सम्मान करे।            न्यायालय ने कहा  ‘‘ऐसा करना जरूरी है क्योंकि बढ़ती आबादी के कारण जंगलों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है।’’   

यह फैसला मोहम्मद अब्दुल कासिम नाम के एक व्यक्ति के कानूनी प्रतिनिधियों की पुनर्विचार याचिका पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ तेलंगाना सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए आया  जिसकी मृत्यु हो चुकी है।       उच्च न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका पर निर्णय लेते समय अपने ही निष्कर्षों को पलट दिया था और कहा था कि विचाराधीन भूखंड वन भूमि का नहीं था और उसने दिवंगत कासिम के कानूनी प्रतिनिधियों को मालिक घोषित कर दिया था।       

उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने कहा  ‘‘हम यह नहीं समझ पा रहे कि उच्च न्यायालय आदेश के बाद एक पक्ष के कहने पर पेश किए गए सबूतों पर भरोसा करके हस्तक्षेप कैसे कर सकता है।’’ 

पीठ ने यह भी कहा  ‘‘जब जंगलों के महत्व की बात आती है तो मनुष्य की चुनिंदा तरीके से चीजों को भूलने की आदत होती है। ये जंगल ही हैं जो कार्बन डाई ऑक्साइड की जगह ऑक्सीजन देकर पृथ्वी पर जीवन प्रदान करते हैं और विविध जीवों के सतत विकास के लिए अनुकूल पर्यावरण प्रदान करते हैं।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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