पाक के सत्तारूढ़ गठबंधन ने सरकारी अधिकारियों के सत्यापन से जुड़े प्रधानमंत्री के फैसले की आलोचना की

इस्लामाबाद, पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने गुप्तचर एजेंसी-इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई)- को सभी सरकारी अधिकारियों की भर्ती, नियुक्ति, पदस्थापन और पदोन्नति से पहले उनका सत्यापन करने का अधिकार देने के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के फैसले पर सवाल उठाया है।

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी कर आईएसआई को विशेष जांच एजेंसी (एसवीए) का दर्जा दिया था। इस निर्णय से न केवल सहयोगी दल, बल्कि उनकी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज पार्टी में भी आक्रोश है।

आईएसआई को वर्ष 1950 में देश के भीतर और बाहर आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया था।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, सहयोगी दलों के कुछ नेताओं ने शरीफ पर गठबंधन के घटक दलों को विश्वास में नहीं लेने का भी आरोप लगाया और विषय को अदालत में ले जाने का संकल्प लिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अधिसूचना में नेताओं को भी शामिल करना चाहिए था क्योंकि “सबसे ज्यादा गद्दार” तो उन्हीं में से हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के महासचिव फरहतुल्ला बाबर ने कहा, “यह गठबंधन के सहयोगियों को विश्वास में लिए बगैर और संसद को सूचित किये बगैर किया गया है।”

उन्होंने कहा कि जब एक पार्टी की सरकार नहीं है तो ऐसा निर्णय क्यों लिया गया। बाबर ने कहा कि जो एजेंसी “एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के छिपे होने का पता नहीं लगा पाई” उसे पेशेवर सिविल सेवकों का सत्यापन करने का काम सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि सभी को इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि यह “अस्वीकार्य” है।

पीएमएल-एन के पूर्व सूचना मंत्री परवेज रशीद ने भी ट्वीट कर इस निर्णय पर सवाल उठाया और कहा कि अगर अधिकारियों का सत्यापन करने का जिम्मा आईएसआई को दिया जा सकता है तो खुफिया एजेंसी का नियंत्रण सिविल प्रशासन को दे दिया जाना चाहिए और उसे संसद के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।

पीपीपी के सीनेटर मुस्तफा नवाज खोखर ने प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि शरीफ को अधिसूचना में उन सभी का नाम शामिल करना चाहिए जो जनता के लिए कार्य करते हैं।

उन्होंने कहा, “नेताओं के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? आखिरकार हमारे पेशे में गद्दारों की संख्या ज्यादा है।” अन्य नेताओं ने भी आईएसआई को सरकारी अधिकारियों का सत्यापन करने का अधिकार देने की आलोचना की।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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