प्रशासन ने राहुल गांधी से असम के मोरीगांव में नुक्कड़ सभा, पदयात्रा नहीं करने को कहा

मोरीगांव (असम), मोरीगांव जिला आयुक्त ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत नुक्कड़ सभा और पदयात्रा करने से परहेज करने को कहा है क्योंकि शरारती तत्व जिले में शांति भंग करने की कोशिश कर सकते हैं।

             जिला आयुक्त (डीसी) देवाशीष शर्मा ने कांग्रेस पदाधिकारियों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘खुफिया सूचनाओं के आधार पर जिला प्रशासन को ऐसे शरारती तत्वों की संलिप्तता की आशंका है, जो एक ही दिन दो बड़े आयोजन-भारत जोड़ो न्याय यात्रा और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का फायदा उठाकर असामाजिक गतिविधियों के जरिये शांति में व्यवधान डालने की कोशिश कर सकते हैं।’’

             पत्र में कहा गया है, ‘‘‘जेड प्लस’ श्रेणी के साथ एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग (एएसएल) सुरक्षा प्राप्त राहुल गांधी की हिफाजत की खातिर, और साथ ही मोरीगांव जिले में कानून और व्यवस्था में किसी भी संभावित व्यवधान को रोकने की हमारी जिम्मेदारी है। हम अनुरोध करते हैं कि पार्टी बिहुटोली पुलिस चौकी क्षेत्र में प्रस्तावित नुक्कड़ सभा और मोरीगांव शहर में श्रीमंत शंकरदेव चौक से पदयात्रा करने से परहेज करे।’’

             जिला आयुक्त ने पत्र में कहा, ‘‘कांग्रेस नेता की सुरक्षा के लिए हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि मोरीगांव जिले में उनके रोड शो के दौरान उनके वाहन या काफिले को तब तक न रोकें जब तक कि वह दोपहर के भोजन और विश्राम के लिए गोलसेपा न पहुंच जाएं।’’

             पत्र में कहा गया, ‘‘यह 22 जनवरी को भारत जोड़ो न्याय यात्रा के सिलसिले में मोरीगांव जिले में किसी भी सार्वजनिक बैठक, पदयात्रा के आयोजन के लिए जिला प्रशासन द्वारा दी गई सभी पूर्व अनुमतियों को वापस लेता है।’’

             इस बीच, राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जी पी सिंह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि यात्रा के आयोजकों को एएसएल के प्रस्तावों पर कायम रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि जेड प्लस श्रेणी सुरक्षा प्राप्त शख्सियत इस कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

             सिंह ने कहा कि अनिर्धारित स्थानों पर रूकने से बचा जाना चाहिए और एएसएल सुरक्षा प्राप्त शख्सियत को सलाह दी जाती है कि वह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को अग्रिम सूचना दिए बिना वाहन से ना उतरें।’’

             डीजीपी ने कहा, ‘‘यात्रा में शामिल अन्य लोगों को भी सलाह दी जाती है कि वे अनिर्धारित स्थानों पर उनके वाहन को रोककर उन्हें जोखिम में ना डालें। असम पुलिस के एक पुलिस महानिरीक्षक व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं, जबकि पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी पर्याप्त पुलिस बल के साथ मार्ग में तैनाती के अलावा काफिले के साथ यात्रा कर रहे हैं।’’

             उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में भाग लेने वालों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय स्तर पर होने वाले किसी भी राजनीतिक प्रदर्शन का विरोध न करें और इसे तैनात किये गए पुलिसकर्मियों या साथ जा रहे पुलिस दल के जिम्मे छोड़ दें। सिंह ने कहा, ‘‘एएसएल में चर्चा और निर्णय के अनुसार हम कार्यक्रम को सुरक्षित मार्ग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

             इससे पहले, दिन में राहुल को वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जाने से इस आधार पर रोक दिया गया था कि उनकी यात्रा के दौरान कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है क्योंकि कई संगठनों की अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है।

             श्री शंकरदेव सत्र की प्रबंध समिति ने रविवार को घोषणा की थी कि वे कांग्रेस नेता को 22 जनवरी को दोपहर तीन बजे से पहले सत्र में जाने की अनुमति नहीं देंगे। वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उन्होंने राहुल गांधी से अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया था।

             राहुल को सत्र (शंकरदेव के जन्मस्थान) जाते समय हैबरगांव में रोका गया था जहां उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों के साथ धरना दिया जबकि पार्टी सांसद गौरव गोगोई और बटद्रवा विधायक शिवमोनी बोरा मुद्दे को सुलझाने के लिए सत्र की ओर बढ़े। उनके लौटने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा कि वह शंकरदेव के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा ‘‘हम लोगों को एक साथ लाने में विश्वास करते हैं, नफरत फैलाने में नहीं।’’

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia common

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