फ्रांस पनडुब्बियों संबंधी जरूरत को लेकर ऑस्ट्रेलिया की ‘गंभीर’ चिंता से अवगत था : मॉरिसन

कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने रविवार को कहा कि फ्रांस को पता होगा कि ऑस्ट्रेलिया को ‘गहरी और गंभीर चिंता’ थी कि पेरिस जिस पनडुब्बी बेड़े का निर्माण कर रहा था, वह ऑस्ट्रेलियाई जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएगा। कैनबरा द्वारा पेरिस के साथ पनडुब्बी निर्माण समझौता रद्द किए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है।

फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया पर 12 पारंपरिक डीजल-विद्युत चालित पनडुब्बियों के निर्माण के लिए नेवल ग्रुप के साथ 90 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (66 अरब डॉलर) के अनुबंध से पीछे हटने के अपने इरादों को छिपाने का आरोप लगाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ एक नए गठबंधन की घोषणा की थी जिसके तहत परमाणु ऊर्जा चालित आठ पनडुब्बियों की आपूर्ति करने की घोषणा की गई है।

मॉरिसन ने इस फैसले के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बिगड़ते रणनीतिक हालात को कारण बताया। उन्होंने हालांकि हालिया वर्षों में इस क्षेत्र में चीन के बढ़े दबदबे का जिक्र नहीं किया। मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को जिस तरह की पनडुब्बियों की जरूरत है, फ्रांस द्वारा बनाई जा रहीं पनडुब्बियां उस तरह की नहीं थीं।

मॉरिसन ने कहा, ‘‘उन्हें (फ्रांस) अच्छी तरह पता था कि हमलावर श्रेणी की पनडुब्बियों को लेकर हमारी गहरी और गंभीर चिंता थी क्योंकि ये हमारे रणनीतिक हितों के अनुकूल नहीं थीं। हमने स्पष्ट कर दिया था कि हम अपने राष्ट्र हित के आधार पर कोई फैसला करेंगे।’’

सौदा रद्द होने के बाद फ्रांस ने सख्त कदम उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियान ने अचानक समझौता रद्द किए जाने की आलोचना की। चीन ने भी परमाणु प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन की तीखी आलोचना की। फ्रांस ने जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए 2016 में यह सौदा हासिल किया था।

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने कहा कि उनकी सरकार पनडुब्बियों के निर्माण के साथ अमेरिका से परमाणु पनडुब्बियों को पट्टे पर लेने के लिए तैयार थी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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