बाबरी मामला भूलकर विकास के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं अयोध्या के मुसलमान

अयोध्या (उत्तर प्रदेश) अयोध्या पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का खुमार चढ़ने के बीच इस धार्मिक नगरी के मुसलमान बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को भूलकर विकास और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते नजर आ रहे हैं।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में वादी रहे इकबाल अंसारी ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि अयोध्या के मुसलमान अब मंदिर और मस्जिद की बात भूल कर रोजगार और तरक्की जैसे मुद्दों को तरजीह दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, “अब मंदिर-मस्जिद का कोई मुद्दा नहीं है। मुसलमानों ने इस मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और इसे स्वीकार किया। अब रोजगार और विकास के बारे में बात करने का वक्त है।” इकबाल अंसारी राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मुकदमे के सबसे पुराने वादी हाशिम अंसारी के बेटे हैं। हाशिम अंसारी का 2016 में निधन हो गया था।

इकबाल अंसारी ने योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा, “योगी ने प्रदेश में एक भी दंगा नहीं होने दिया। ऐसा करके उन्होंने बरसों का रिकॉर्ड तोड़ा है।” उन्होंने कहा कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी की हिमायत नहीं कर रहे हैं और बस वही कह रहे हैं जो वह महसूस करते हैं।

इकबाल अंसारी ने कहा, “अयोध्या में हिंदू और मुस्लिम साथ मिलकर रहते हैं। इस जिले में बेहतर सड़कें, कारखानों और पार्किंग सुविधा की जरूरत है। यहां हजारों मंदिर हैं। अब एक और मंदिर (राम मंदिर) बन रहा है।” उन्होंने कहा, “इन मंदिरों के बाहर कोई भी व्यक्ति फूल बेच सकता है। अब हमारे नौजवानों को रोजगार चाहिए। अब विकास होना चाहिए।” अयोध्या मामले के एक अन्य प्रमुख मुद्दई हाजी महबूब ने दावा किया कि सरकार चाहे जो कुछ भी कहे, लेकिन इस बार सत्ता बदल जाएगी। उन्होंने कहा, “सरकार जो भी गाना गाए, इस बार सरकार पलटेगी।” अयोध्या के राजनीतिक माहौल के बारे में हाजी महबूब ने कहा, “इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) के पास अयोध्या सीट जीतने का अच्छा मौका है। इस पार्टी के नेता आम लोगों से जुड़े मुद्दों को बेहतर ढंग से उठा रहे हैं। यहां के सामान्य नागरिक बेहतर जिंदगी और अपने बच्चों के लिए रोजगार चाहते हैं।” अयोध्या के राठ हवेली मार्ग के पास रहने वाले हामिद जफर मीसम ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से मध्यमवर्ग पर बहुत बुरा असर पड़ा है और सरकार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए कुछ खास नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मध्यम वर्ग के लोग अपने बिजली के बिल और कर्ज की किस्तें भरते हुए थक गए, लेकिन उन्हें कोई खास राहत नहीं मिली। बड़ी-बड़ी डिग्रियों वाले चिकित्सकों ने खुद को पृथक कर लिया और जिन लोगों ने मदद की उन्हें झोला छाप कहा जाता है।’’ मीसम ने कहा, “लोग सिर्फ कोविड-19 से ही नहीं मरे, बल्कि दिल के दौरे तथा अन्य बीमारियों से भी मारे गए। तरक्की के लिए हमें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं और रोजगार चाहिए।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव नहीं लड़ने के बारे में मीसम ने कहा, “वह आंतरिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट देखकर यहां से भाग खड़े हुए।” राम मंदिर निर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने कोई कानून लाकर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त नहीं किया, बल्कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला देकर इसका रास्ता साफ किया। उसके फैसले को सभी ने कुबूल किया।

कंघी गली मस्जिद के पास रहने वाले खालिक अहमद खान ने दावा किया कि अयोध्या के मुसलमान धर्मनिरपेक्ष पार्टी को वोट देंगे, ना कि सांप्रदायिक ताकतों को।

उन्होंने कहा, “अगर कोई मुस्लिम उम्मीदवार भी सांप्रदायिकता की आड़ लेकर अयोध्या से चुनाव लड़ेगा तो भी मुस्लिम उसे हरा देंगे। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। बस हम धर्मनिरपेक्षता की हिमायत करते हैं।” खान ने दावा किया कि राम मंदिर का मुद्दा अब खत्म हो चुका है और राजनीतिक दलों को आगे बढ़कर जनता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

वर्ष 2018 में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था। जनगणना 2011 के मुताबिक अयोध्या में लगभग 85% हिंदू मतदाता हैं।

अयोध्या में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत आगामी 27 फरवरी को मतदान होगा। जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। इन सभी पर इस वक्त भाजपा का कब्जा है। राजनीतिक दलों ने अभी यहां प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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