‘बैसाखी’ के महत्व और आंबेडकर के सम्मान में अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पेश

वाशिंगटन, अमेरिका के एक सांसद ने ‘बैसाखी’ के त्योहार के महत्व को मान्यता देने और इसको मनाने वालों के लिए प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया।

सांसद जॉन गारामेंडी ने सदन में बैसाखी प्रस्ताव को फिर से पेश करने के दौरान कहा, “यह प्रस्ताव ‘बैसाखी’ के त्योहार की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को स्वीकार करता है।”

‘बैसाखी’ या ‘वैशाखी’ सिखों, हिंदुओं और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए वसंत ऋतु की फसल कटाई का त्योहार है। यह सिखों का नववर्ष भी होता है और 1699 में गुरु गोविंद सिंह द्वारा ‘खालसा पंथ’ की स्थापना किए जाने का भी स्मरण कराता है।

कैलिफोर्निया से कांग्रेस सदस्य गारामेंडी सदन के सिख कॉकस के सह-प्रमुख भी हैं।

वहीं, भारतीय-मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव आंबेडकर की 130वीं जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में लगातार दूसरे वर्ष एक प्रस्ताव पेश किया। इसका लक्ष्य दुनिया भर के युवा नेताओं को आंबेडकर के, समानता के दृष्टिकोण से प्रेरित करना था।

भारत इस वर्ष डॉ आंबेडकर की 130वीं जयंती मना रहा है।

प्रतिनिधि सभा में बुधवार को प्रस्ताव पेश करने के बाद खन्ना ने एक ट्वीट में कहा, “आंबेडकर ऐसा भारत और अमेरिका चाहते थे जहां हम सभी की गरिमा का सम्मान करें ।”

उन्होंने कहा, ‘‘आज, मैं बी आर आंबेडकर को सम्मानित करने के लिए एक बार फिर अपना प्रस्ताव पेश कर रहा हूं, इस उम्मीद में, कि दुनिया भर के युवा नेता उनके काम के बारे में पढ़ेंगे और समानता के उनके नजरिए से प्रेरित होंगे।”

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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