‘भविष्य की संभावनाओं के नुकसान’ के लिए मुआवजा मिलना चाहिए : अदालत

बेंगलुरु, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि उन मामलों में भी जहां दुर्घटना में कोई अंग-भंग न हुआ हो केवल चोट लगी हो, पीड़ित को ‘भविष्य की संभावनाओं के नुकसान’ के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।

अदालत ने दुर्घटना के शिकार हुब्बाली के मूल निवासी अब्दुल महबूब तहसीलदार (39) को दिए गए मुआवजे को 5.23 लाख रुपये से बढ़ाकर 6.11 लाख रुपये कर दिया।

अदालत ने कहा, “भविष्य की संभावनाओं के नुकसान को इस तथ्य के बावजूद भी शामिल किया जाना चाहिए कि यह मौत का मामला नहीं है, बिना अंग-भंग के चोट का मामला है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे शरीर की अक्षमता 20 प्रतिशत की सीमा तक है, लेकिन यह अंततः उसकी कमाई क्षमता पर असर डालेगी।

न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित और न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट्ट की खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा कि पैसे का मूल्य सालों साल स्थिर नहीं रहता है।

अदालत ने कहा, “इस प्रकार, दावेदार की उम्र केवल 40 वर्ष है, आगे उसकी लंबी उम्र पड़ी हैं, पैसे के घटते मूल्य का उसके भविष्य की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”

पेशे से दर्जी अब्दुल 31 दिसंबर, 2009 को कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम की बस से केरुरु से हुब्बाली लौट रहा था। बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई और अब्दुल घायल हो गया।

हुब्बाली में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने मुआवजे के लिये उसके दावे पर सुनवाई की और 2016 में मुआवजा दिए जाने की घोषणा की।

अब्दुल और न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड दोनों ने मुआवजे के खिलाफ अपील के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

अदालत ने न्यायाधिकरण के फैसले में बदलाव करते हुए कहा, “न्यायालयों को ‘न्यायसंगत मुआवजा’ देने के लिए कानून के तहत नियुक्त किया गया है और किसी भी मुआवजे को तब तक न्यायसंगत नहीं माना जा सकता जब तक कि कानून समय की जरूरतों के अनुसार आवश्यक उचित समायोजन करके खुद में बदलाव कर फिर से स्थापित करने में सक्षम न हो।”

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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