भारत ने वैश्विक संस्थानों में तत्काल सुधार का आह्वान किया

किंग्स्टन, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि समकालीन वैश्विक वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के साथ वैश्विक संस्थानों में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए।

यहां कैरीबियाई देश सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस की ‘हाउस असेंबली’ की एक विशेष बैठक को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, ‘‘हमारे साझा इतिहास में किसी भी समय की तुलना में बहुपक्षवाद आज की दुनिया में अधिक प्रासंगिक है।’’ उन्होंने कहा कि सभी देशों में मजबूत, ठोस, संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षवाद को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि, बहुपक्षवाद के प्रासंगिक और प्रभावी बने रहने के लिए संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दो विश्व युद्धों के बाद उभरे ढांचे और स्थिति के मद्देनजर एक प्रमुख मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया कि एक अन्य युद्ध को रोका जाए।

कोविंद ने कहा, ‘‘आज के जटिल मुद्दों से निपटने के लिए हम जिस नई विश्व व्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं, वह एक समावेशी विश्व व्यवस्था है जहां हर देश अपने वैध हितों को जाहिर कर सकता है।’’

उन्होंने कहा कि समावेशी विश्व व्यवस्था की वकालत करने में भारत का उद्देश्य एक सार्वभौमिक, नियम-आधारित, स्वतंत्र, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण और न्यायसंगत बहुपक्षीय प्रणाली को बढ़ावा देना है। कोविंद ने कहा, ‘‘इसलिए समकालीन वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के साथ वैश्विक संस्थानों में सुधार करना समय की मांग है।’’

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत और सेंट विंसेंट तथा ग्रेनेडाइंस एक साझा हित, दृष्टिकोण और समझ साझा करते हैं।

इस समय यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं। अस्थायी सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।

पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं और ये देश किसी भी मूल प्रस्ताव को ‘वीटो’ कर सकते हैं।

भारत जनवरी 2021 में दो साल के कार्यकाल के लिए यूएनएससी का अस्थायी सदस्य बना था।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

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