मार्कोस जूनियर से लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने की मांग उठी

मनीला, फिलीपीन में हुए राष्ट्रपति चुनाव में फर्डिनांड मार्कोस जूनियर के राष्ट्रपति बनने की संभावना प्रबल है और लोग उनसे अभी से मानवाधिकारों, कानून व्यवस्था तथा लोकतंत्र का सम्मान सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।

फिलीपीन के तानाशाह शासक रहे फर्डिनांड मार्कोस से नाम साझा करने वाले उनके बेटे मार्कोस जूनियर ने सोमवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के अनधिकृत आंकड़ों में 3.1 करोड़ वोट हासिल किये हैं, जिसे फिलीपीन के दशकों के इतिहास में किसी राष्ट्रपति को मिलने वाला सबसे बड़ा जनादेश बताया जा रहा है। मार्कोस जूनियर के लगभग सभी प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों ने हार मान ली है।

उनके खेमे की उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार सारा ड्यूटर्टे भी बड़ी जीत की ओर बढ़ती दिखाई दे रही हैं। फिलीपीन की कांग्रेस द्वारा चुनाव के परिणामों की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों 30 जून को कार्यभार संभाल सकते हैं।

दोनों का कार्यकाल छह वर्ष का होगा और उनके सामने कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण दो साल में कमजोर हुई अर्थव्यवस्था को उबारने की चुनौती होगी।

उनसे इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश में गरीबी को समाप्त करने, असमानताओं को पाटने, मुस्लिम और कम्युनिस्ट उग्रवाद को समाप्त करने तथा राजनीतिक विभाजन रोकने की भी अपेक्षाएं हैं। दोनों के पिता देश के राष्ट्रपति रहे हैं और उन्हें ही इस राजनीतिक विभाजन के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

मार्कोस जूनियर के प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों ने पराजय स्वीकार कर ली है जिनमें पूर्व बॉक्सिंग खिलाड़ी मैनी पैकियाओ भी शामिल हैं। उनकी दूसरी प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा राष्ट्रपति लेनी रोबरेडो ने केवल मार्कोस जूनियर की बढ़त को स्वीकार किया है।

पैकियाओ ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘एक बॉक्सर और एथलीट के रूप में मुझे हार स्वीकारना आता है।’’

फिलीपीन का लंबे समय तक सहयोगी रहा अमेरिका उन देशों में शामिल है जिसने चुनाव के बाद सबसे पहले टिप्पणी की है। उसने अगले राष्ट्रपति के साथ काम करने की इच्छा प्रकट की है। अमेरिका ने यह भी कहा कि संबंध मानवाधिकारों और कानून व्यवस्था के लिए सम्मान पर आधारित होने चाहिए।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘‘हम अपनी विशेष साझेदारी को नया कलेवर देने के लिए तथा आगामी प्रशासन के साथ प्रमुख मानवाधिकार और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं पर काम करने के लिए आशान्वित हैं।’’

मौजूदा नतीजे 1986 के उलट आते नजर आ रहे हैं जब लोकतंत्र समर्थक शांतिपूर्ण और सैन्य समर्थित विद्रोह हुआ था और मार्कोस जूनियर के पिता फर्डिनांड मार्कोस को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था।

मार्कोस जूनियर और सारा ड्यूटर्टे ने अपने प्रचार अभियान के दौरान संवेदनशील विषयों से बचने का प्रयास किया और राष्ट्रीय एकता की बात की। हालांकि मार्कोस जूनियर के पिता और सारा के पिता, दोनों को बतौर राष्ट्रपति, अपने कार्यकाल में देश के इतिहास में सबसे ज्यादा आक्रोश पैदा करने वाला विभाजन करने के लिए जाना जाता है।

क्रेडिट : प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Associated Press (AP)

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