मिस्र, सूडान का संयुक्त राष्ट्र से नील नदी के बांध पर कार्रवाई का अनुरोध, इथियोपिया का इनकार

संयुक्त राष्ट्र, नौ जुलाई (एपी) मिस्र और सूडान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से नील नदी पर बने बांध से पानी की उपलब्धता को लेकर इथियोपिया के साथ विवाद के समाधान के लिए कूटनीतिक रास्तों को अपनाने और एक कानूनी समझौते का आह्वान किया है। हालांकि इथियोपिया ने जोर दिया कि मामले को अफ्रीकी संघ द्वारा सुलझाया जा सकता है और परिषद के कई सदस्य इससे सहमत हैं।

मिस्र और सूडान ने परिषद की बैठक का आह्वान किया और अपने-अपने विदेश मंत्रियों को परिषद की कार्रवाई की अपील के लिए न्यूयॉर्क भेजा है। दोनों देशों ने कहा है कि इथियोपिया के साथ 10 साल से बातचीत विफल रही है और ग्रैंड इथियोपिया रेनसांस डैम (जीईआरडी) ने अपने जलाशय को दोबारा भरना शुरू किया है जो न सिर्फ 2015 के समझौते का उल्लंघन है बल्कि यह निचले तटीय इलाकों में बसे देशों के 15 करोड़ लोगों के ‘‘अस्तित्व के लिए खतरा’’ है।

इथियोपिया के सरकारी मीडिया की खबरों के अनुसार, ब्लू नील पर बांध का काम 80 प्रतिशत पूरा हो गया है और 2023 से यह पूरी क्षमता के साथ काम करने लगेगा जो अफ्रीका का सबसे बड़ा और दुनिया का सातवां सबसे बड़ा पनबिजली संयंत्र होगा। इथियोपिया ने कहा है कि पांच अरब डॉलर की लागत से बन रहा बांध आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अधिकांश लोगों तक बिजली पहुंचे।

इथियोपिया के जल मंत्री सेलेशी बेकेले औलाचेव ने परिषद को बताया कि जलाशय को भरने का काम बंध के निर्माण का हिस्सा है और सुरक्षा परिषद को नील नदी जल मुद्दे में शामिल नहीं होना चाहिए। उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के संबंध में उसके आदेशपत्र के बाद अब कोई मुद्दा शेष नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘अफ्रीकी संघ इस मामले से अवगत है, और हमारी बातचीत को सुगम बना रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इथियोपिया का मानना ​​है कि आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति और बातचीत में भरोसे के साथ प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए वे एक समझौते पर पहुंचने वाले हैं।’’ औलाचेव ने कहा कि सुरक्षा परिषद को मिस्र और सूडान को जीईआरडी के भरने और संचालन के संबंध में समझौते पर गंभीरता से बातचीत के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

मिस्र के विदेश मंत्री सामेह शुक्री और सूडान की विदेश मंत्री मरियम अल-महदी ने इथियोपिया पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने सुरक्षा परिषद से उस ट्यूनीशियाई-मसौदा प्रस्ताव को मंजूरी देने का आग्रह किया, जिसके लिए मिस्र, सूडान और इथियोपिया को अफ्रीकी संघ के तत्वावधान में छह महीने के भीतर कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर बातचीत करना आवश्यक होगा।

अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि नील जल बंटवार मुद्दा अफ्रीकी संघ के तत्वावधान में बातचीत तत्काल बहाल कर ‘‘सभी हितधारकों के बीच राजनीतिक प्रतिबद्धता से’’ सुलझाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेनजिया ने मौजूदा विवाद पर चिंता प्रकट की और कहा है कि ‘‘संभावित बल प्रयोग के दावे’’ अस्वीकार्य हैं।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया
फोटो क्रेडिट : Wikimedia commons

%d bloggers like this: