मेट्रो के लिए पेड़ों की कटाई के खिलाफ याचिका को विरोध पत्र समझा जाए : अदालत ने सीईसी से कहा

नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पर्यावरण संबंधी मामलों को देखने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को उस याचिका पर विरोध-पत्र के तौर पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसमें 11,000 से अधिक पेड़ों की कटाई रोकने के लिए चौथे चरण के मेट्रो का विस्तार भूमिगत किए जाने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय एवं सीईसी के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को पहले समिति के पास जाना चाहिए। इसी के साथ अदालत ने इस याचिका का निपटारा कर दिया।

चिकित्सक डॉ. पीसी प्रसाद और वकील आदित्य एन प्रसाद ने यह याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि इस परियोजना के लिए 11,000 से अधिक पेड़ों को गिराए जाने का राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, जहां प्रदूषण ‘‘गंभीर’’ स्तर पर है।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के वकील ने कहा कि उसने उसके विस्तार को लेकर आपत्तियों के संबंध में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है और शीर्ष अदालत ने दो फरवरी को सीईसी को इस मामले पर गौर करने और चार सप्ताह में रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था।

डीएमआरसी के वकील ने कहा कि सीईसी ने बृहस्पतिवार अपराह्न तीन बजे एक बैठक निर्धारित की है और याचिकाकर्ता इसमें शामिल हो सकते हैं।

डीएमआरसी के इस अभिवेदन के बाद अदालत ने कहा कि वह अभी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी और उसने सीईसी को याचिकाकर्ताओं के विरोध पत्र पर विचार करने का निर्देश दिया।

अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में उपयुक्त कानूनी कदम उठाने की स्वतंत्रता दी।

क्रेडिट : पेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया

%d bloggers like this: